वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में वित्त और उर्जा मंत्रालय में ठनी
वित्त मंत्रालय का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ वार्ता के समय पेट्रोलियम डिवीजन ने उसकी शर्त पर अपनी सहमति दी थी। लेकिन अब जबकि शर्त को अमलीजामा पहनाने की बात है तब वह अपनी स्थिति बदल रहा है।
वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में आईएमएफ की एक शर्त को लेकर वित्त और ऊर्जा मंत्रालय आपस में भिड़ गए हैं। दरअसल, आईएमएफ ने 7 अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते को लेकर पाकिस्तान के सामने जनवरी तक औद्योगिक बिजली संयंत्रों को गैस आपूर्ति कम करने की शर्त रखी थी। लेकिन इसे पूरा करने को लेकर अब पाकिस्तान के वित्त और ऊर्जा मंत्रालय में विवाद हो गया है।
हाल ही में इसे लेकर पीएम शहबाज शरीफ के आवास पर एक बैठक हुई थी, जहां ऊर्जा मंत्रालय की पेट्रोलियम डिवीजन ने दावा किया कि वित्त मंत्रालय ने कार्यक्रम वार्ता के समय अपनी आपत्तियों के बावजूद शर्तों को स्वीकार कर लिया। इस डिवीजन ने आगे दावा किया कि अचानक कनेक्शन कटने से सरकार और उद्योगों को 427 अरब रुपये का नुकसान हो सकता है।
वहीं, दूसरी ओर वित्त मंत्रालय का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ वार्ता के समय पेट्रोलियम डिवीजन ने उसकी शर्त पर अपनी सहमति दी थी। लेकिन अब जबकि शर्त को अमलीजामा पहनाने की बात है तब वह अपनी स्थिति बदल रहा है।
बता दें कि दोनों के बीच यह विवाद तब सामने आया है जबकि ऊर्जा मंत्रालय ने यह आकलन जारी किया था कि उद्योगों को गैस से बिजली पर पूरी तरह से स्थानांतरित करने में लगभग दो साल लगेंगे। मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर कम से कम दो बैठकें की हैं, जबकि पिछले हफ्ते आईएमएफ के साथ भी चार बैठकें हुईं।
आईएमएफ ने 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पैकेज के बदले में लगभग 40 शर्तों पर सहमति के साथ पाकिस्तान ने सितंबर में उद्योगों द्वारा घरेलू बिजली उत्पादन के लिए गैस की आपूर्ति को स्थायी रूप से रोकने के लिए हस्ताक्षर किये थे। लेकिन कुछ ही हफ्तों में मंत्रालयों में आपस में विवाद हो गया है। वहीं, पेट्रोलियम डिवीजन का अनुमान है कि अगर आपूर्ति अचानक बाधित हो जाती है तो सैकड़ों अरब रुपये का नुकसान होगा। इसमें आवासीय उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर गैस की आपूर्ति करने के लिए औद्योगिक उपभोक्ताओं से वसूली जाने वाली 100 अरब रुपये की क्रॉस-सब्सिडी भी शामिल है।
आईएमएफ सौदे के अनुसार, गैस क्षेत्र में सुधार सभी क्षेत्रों में मूल्य सामान्यीकरण और कैप्टिव पावर उन्मूलन पर केंद्रित होगा। आईएमएफ गिरती बिजली की खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से औद्योगिक उपभोक्ताओं को राष्ट्रीय बिजली ग्रिड में स्थानांतरित करना चाहता है।