चीन में टैरिफ से अमेरिकी कंपनियों की बिक्री में आएगी गिरावट

ट्रंप ने चीन से आयात पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। जबकि मई में दोनों देशों के बीच टैरिफ युद्ध को कम करने पर सहमति बनने से पहले इसे एक समय 145 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 10 प्रतिशत कर लगाकर जवाब दिया है।

चीन पर अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ को लेकर शंघाई में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के सर्वे में बड़ा खुलासा हुआ है। सर्वे के बाद सामने आया है कि टैरिफ से चीन में काम कर रही कई अमेरिकी कंपनियों की बिक्री प्रभावित होगी। इसमें गिरावट आएगी।

सर्वे में भाग लेने वाली 254 कंपनियों में से लगभग दो-तिहाई ने कहा कि नए टैरिफ ने 2025 में उनके चीन परिचालन के लिए अपेक्षित राजस्व को कम कर दिया है। वहीं लगभग एक-तिहाई कंपनियां जिनमें से कई बैंकिंग और अन्य उद्योगों में हैं जो अमेरिका से आयात या निर्यात नहीं करते हैं, उन्हें किसी भी प्रभाव की उम्मीद नहीं है।

शंघाई चैंबर के नेताओं ने कहा कि टैरिफ से उन कंपनियों पर असर पड़ेगा जो अमेरिका को निर्यात करती हैं और उन कंपनियों पर भी जो चीन में अपने उत्पादन के लिए अमेरिकी पार्ट्स या सामग्री आयात करती हैं। समूह के अध्यक्ष एरिक झेंग ने कहा कि टैरिफ का हमारे परिचालन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। दोनों पक्ष व्यापार वार्ता कर रहे हैं, लेकिन टैरिफ और अन्य मुद्दों पर उनकी दिशा स्पष्ट नहीं है। यह अनिश्चितता उन कंपनियों के लिए एक चुनौती है जिन्हें भविष्य के लिए योजनाएं बनाने की जरूरत है।

19 मई से 20 जून तक किए गए शंघाई चैंबर सर्वेक्षण में पाया गया कि टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान निर्माताओं को हो रहा है। करीब तीन-चौथाई ने कहा कि आयात करों से 2025 तक उनके चीन राजस्व में कमी आएगी। उत्तरदाताओं ने अगले तीन से पांच वर्षों के लिए अमेरिका-चीन तनाव को अपनी सबसे बड़ी चुनौती बताया। झेंग ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार को हमारी पहली माँग बताया।

अमेरिका ने लगाया 145 फीसदी टैक्स
ट्रंप ने चीन से आयात पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। जबकि मई में दोनों देशों के बीच टैरिफ युद्ध को कम करने पर सहमति बनने से पहले इसे एक समय 145 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 10 प्रतिशत कर लगाकर जवाब दिया है। वहीं अमेरिकी अदालतों ने फैसला सुनाया है कि ट्रंप के कई टैरिफ अमेरिकी आपातकालीन शक्ति कानून का अवैध उपयोग हैं, लेकिन आयात कर यथावत बने रहेंगे, क्योंकि उनका प्रशासन इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर रहा है।

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