तरनतारन उपचुनाव: पंथक सीट पर आप की जीत के बड़े मायने

आम आदमी पार्टी (आप) ने तरनतारन विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत हासिल की है। आप उम्मीदवार हरमीत सिंह संधू ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की उम्मीदवार सुखविंदर कौर को 12,091 मतों के अंतर से हराया। यह जीत पंजाब की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आप के लिए यह जीत सत्ता विरोधी लहर को कुंद करने के लिए एक हथियार बनकर हाथ आई है।
विकास ही बड़ा मुद्दा
लुधियाना उपचुनाव की जीत के बाद पार्टी में उत्साह था लेकिन इस उत्साह को आगे पंथक क्षेत्र में लेकर बरकरार रखना चुनौती थी। तरनतारन की सीट पंथक मानी जाती है लेकिन इस जीत ने यह भी साबित किया कि पंथक मुद्दों के साथ विकास भी एक बड़ा मुद्दा है।
अगर पंथक मुद्दा ही हावी होता तो धर्मी फौजी की पत्नी प्रिंसिपल सुखविंदर कौर व वारिस पंजाब दे अकाली दल के मंदीप सिंह खालसा को बंपर वोट मिलते। पिछले साल लोकसभा चुनाव में अमृतपाल सिंह खालसा को लोकसभा सीट पर रिकाॅर्ड वोट पड़े थे जिसको लेकर तमाम पार्टियों में काफी बेचैनी थी लेकिन आप की जीत ने तस्वीर साफ कर दी है कि अब पंथक के साथ-साथ विकास व अन्य मुद्दे भी हैं।
सरकार के काम पर मुहर
सत्तारूढ़ आप के लिए यह जीत मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व और सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह के रूप में देखी जा रही है। आप ने यह सीट बरकरार रखी है जो दर्शाता है कि सरकार के प्रति मतदाताओं का विश्वास बना हुआ है। यह उपचुनाव साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन परीक्षण माना जा रहा था। इस जीत ने आप के लिए आगामी चुनाव से पहले गति निर्धारित कर दी है और पार्टी का मनोबल बढ़ाया है।
अकाली दल को झटका
शिरोमणि अकाली दल के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह क्षेत्र कभी उनका गढ़ माना जाता था। उनकी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहीं। अकाली दल के लिए राहत की बात यह है कि वह दूसरे नंबर पर है। अमृतपाल सिंह के दल की ओर से समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार मनदीप सिंह खालसा 19,620 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे जिसने पारंपरिक पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाई और इलाके में कट्टरपंथी सिख संगठनों के प्रभाव को भी दर्शाया। कम से कम पुनर्गठित अकाली दल के प्रधान ज्ञानी हरप्रीत सिंह के समर्थित उम्मीदवार मंदीप सिंह को पछाड़कर सुखबीर बादल ने पंथक सियासत में खुद को ताकतवर होेने का एहसास विरोधियों को करवाया है।
कांग्रेस के लिए बड़ा संदेश
यह चुनाव परिणाम सिख सियासत के लिए भी सबक है। सिखों के पंथक वोट में खूब सेंधमारी हुई जिसका फायदा आप को मिला। कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव एक बड़ा फेरबदल लेकर आने वाला है। कांग्रेस का जो हाल उपचुनाव में हुआ है उससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है। जो 2027 में कांग्रेस की सरकार से सपने संजो रहे थे उनको झटका लगा है।
नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा ने कांग्रेस के उम्मीदवार करण सिंह बुर्ज को टिकट दिलाकर ताल ठोकी थी कि वह इस चुनाव में कांग्रेस को चुनाव में जीत दिलाने में सक्षम है लेकिन करारी हार ने कांग्रेस के विधायक दल के नेता प्रताप बाजवा के फैसले पर भी प्रश्न चिह्न लगा दिया है। कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार क्रमशः चौथे और पांचवें स्थान पर रहे जिससे इन पार्टियों के लिए पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करने की चुनौतियों का पता चलता है। कुल मिलाकर तरनतारन उपचुनाव में आप की जीत ने पंजाब में पार्टी की स्थिति को मजबूत किया है और यह संकेत दिया है कि मतदाता सत्तारूढ़ दल के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं जबकि विपक्षी दल अपनी पकड़ खोते दिख रहे हैं।



