पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र: मनरेगा के संशोधन बिल पर बहस

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि मनरेगा का संशोधन बिल मजदूरों के लिए बड़ा धोखा है। केंद्र सरकार इसे 14 घंटे पहले लेकर आई और आनन-फानन राष्ट्रपति से पास करवा लिया। इसकी सच्चाई क्या है, लोगों को यही बताने के लिए पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।

मनरेगा के संशोधन बिल पर पंजाब में सियासत गरमा गई है। इसके खिलाफ सरकार ने आज पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। सदन की कार्यवाही शुरू हो गई है। सबसे पहले चार साहिबजादों की शहादत को नमन किया गया।

आप के विधायक सत्र के लिए मजदूरों से भरवाए गए पत्र लेकर विधानसभा पहुंच रहे हैं। सिर पर रखकर पत्रों के बंडल लाए गए हैं। विभिन्न क्षेत्रों से विधानसभा की कार्यवाही दिखाने मजदूरों को भी सदन में बुलाया गया है। प्रदेश में काफी संख्या में मजदूरों से इसके खिलाफ पत्र भरवाए गए हैं।

मान सरकार पर भड़के शिवराज सिंह चौहान
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मनरेगा संशोधन बिल के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मान सरकार पर निशाना साधा है। चाैहान ने कहा कि संसद द्वारा पारित किसी कानून के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाना संघीय ढांचे की मूल भावना के खिलाफ है।

संविधान ने संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया है और उसे मानना केंद्र व राज्य, दोनों की जिम्मेदारी है। केवल विरोध के लिए विरोध करना न तो लोकतांत्रिक है और न ही संवैधानिक।

चाैहान ने कहा कि मैं हैरान हूँ कि कुछ लोग किस कल्पना लोक में रहते हैं, देश की हकीकत से उनका कोई लेना-देना नहीं है। बिना मंत्री और कैबिनेट के काम चलने की बात कहना केवल भ्रम फैलाना है, मन में जो आया कह देना, जिम्मेदार राजनीति नहीं है।

पंजाब भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सूबे में इस योजना में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की मंशा मजदूरों के हित में है मगर पंजाब सरकार ने इस योजना के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। शर्मा ने आरोप लगाया कि आप सरकार मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए अनिवार्य सोशल ऑडिट तक नहीं करवा रही है। वर्ष 2024-25 में 6,095 ग्राम पंचायतों और 2025-26 में 7,389 ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट नहीं कराया गया।

सरकार मनरेगा मजदूरों को गुमराह कर उनसे इस कानून के विरोध में जबरन और धोखे से हस्ताक्षर करवा रही है। सरकार मौजूदा मनरेगा कानून के तहत भी पिछले तीन वर्षों में मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने बताया कि स्पेशल ऑडिट यूनिट द्वारा पकड़े गए भ्रष्टाचार के मामलों में से 3,986 मामलों पर अब तक पंजाब सरकार ने कोई एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी नहीं की, जिससे साफ है कि भ्रष्टाचारियों को बचाया जा रहा है। इसके अलावा, लोकपाल द्वारा जांच के बाद दिए गए 2 करोड़ 35 लाख रुपये की रिकवरी के आदेशों को भी अब तक लागू नहीं किया गया।

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