पूर्व विदेश सचिव ने सैन्य संघर्ष PAK-चीन गठजोड़ पर दिया बड़ा बयान

भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर और पड़ोसी देशों- पाकिस्तान और चीन से रिश्ते को लेकर पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुआ सैन्य संघर्ष ये दिखाता है कि चीन-पाकिस्तान के गहरा रणनीतिक गठजोड़ है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में इसी साल अप्रैल में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था। इस कार्रवाई के बाद दहशतगर्दों के पनाहगाह को दुनिया के 33 देशों में बेनकाब किया गया। पड़ोसी के दुष्प्रचार को धराशायी करने की इस कवायद में पूर्व विदेश सचिव और अब राज्यसभा सदस्य हर्षवर्धन श्रृंगला भी शामिल रहे थे। उन्होंने भारतीय सेना की कार्रवाई और सैन्य संघर्ष को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच विगत मई माह में हुआ सैन्य संघर्ष चीन-पाकिस्तान के गहरे रणनीतिक गठजोड़ का प्रतीक है।
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन की भागीदारी केवल पाकिस्तान को की गई रक्षा आपूर्ति तक ही सीमित नहीं रही। उसने पड़ोसी देश को खुफिया और कूटनीतिक समर्थन भी दिया। यही कारण है कि भारत के उभार को रोकने के मकसद से पाकिस्तान ने ड्रैगन के साथ ‘ऑल-वेदर’ साझेदारी की। महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान श्रृंगला ने भारत की मौजूदा विदेश नीति और रणनीतिक दृष्टिकोण पर भी बयान दिए। उन्होंने कहा, ‘हमारी विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन बनाकर चलती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार विकास, रणनीतिक स्वायत्तता और समावेशी वैश्विक दृष्टिकोण अपनाकर चल रही है। पूर्व विदेश सचिव के मुताबिक भारत का मकसद रणनीतिक क्षमता बेहतर करना, कुशल कूटनीति और मजबूत घरेलू विकास के माध्यम से अपनी अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत करना है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की तरफ से किए गए चीनी हथियारों के उपयोग पर श्रृंगला ने कहा, यह चीन-पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य और रणनीतिक सहयोग का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि क्षमता विकसित करना, नवाचार पर ध्यान और अपने रणनीतिक हितों को देखते हुए अन्य देशों के साथ साझेदारी करना भारत की वर्तमान जरूरत है।
मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में ‘पाकिस्तान-अमेरिका संबंध’ पर श्रृंगला ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अपनी स्थिति मजबूत की। ट्रंप प्रशासन ने उन्हें वाशिंगटन का निमंत्रण दिया, राष्ट्रपति ट्रंप और मुनीर की मुलाकात ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। पूर्व विदेश सचिव के मुताबिक भारत की ताकत अमेरिका, यूरोप, इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ के साथ स्थायी साझेदारियां बनाने में है। हमारी साझेदारी लोकतंत्र, व्यापार, तकनीक और सुरक्षा सहयोग पर आधारित हैं।
यह भी दिलचस्प है कि भारत की तरफ से लगातार खंडन किए जाने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब तक लगभग 50 मौकों पर ये कह चुके हैं कि मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनके प्रयासों से ही सीजफायर हुआ। इस परिप्रेक्ष्य में देश की स्थिति एक बार फिर स्पष्ट करते हुए पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला ने दोहराया, ‘भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता, यह बात शिमला समझौते में स्पष्ट है।’
भारत की संसद में अगस्त, 2019 में हुए ऐतिहासिक फैसले का उल्लेख करते हुए पूर्व विदेश सचिव ने कहा, देश के संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा में शामिल हुआ है। अब वहां स्थिरता आई है, हालांकि सीमापार से संचालित आतंकवाद की छिटपुट घटनाएं अभी भी पूरी तरह बंद नहीं हो सकी हैं।
उन्होंने अमेरिका के साथ रिश्ते में तल्खी के अलावा चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ के मद्देनजर भारत की नीति पर भी बयान दिया। क्षेत्रीय और वैश्विक संतुलन पर उन्होंने ‘पड़ोसी पहले’ नीति का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने ग्लोबल साउथ, पश्चिम एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के गहन सहयोग पर भी बात की। आगामी ग्लोबल एआई समिट का जिक्र कर श्रृंगला ने कहा, आने वाले समय में भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्व करेगा। श्रृंगला ने कहा कि अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के बीच भारत को अपनी रणनीतिक जगह बनाए रखनी होगी। बकौल विदेश सचिव ‘भारत की आर्थिक और तकनीकी प्रगति उसे बहुध्रुवीय विश्व में एक ‘तीसरा प्रमुख स्तंभ’ बनाती है।’



