प्लेटफार्म पर खड़ी पैसेंजर ट्रेन की बोगी में आग लगने के मामले में एक व्यक्ति हुआ गिरफ्तार…
रेलवे स्टेशन के मेला प्लेटफार्म पर खड़ी पैसेंजर ट्रेन की बोगी में आग लगने के मामले का जीआरपी और आरपीएफ ने पर्दाफाश कर दिया है। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
एएसपी जीआरपी मनोज कत्याल ने गुरुवार शाम रेलवे स्टेशन परिसर स्थित आरपीएफ कार्यालय में बताया कि सीसीटीवी फुटेज में 27 नवंबर को दिल्ली-ऋषिकेश-हरिद्वार पैसेंजर ट्रेन प्लेटफार्म नंबर चार से आठ की तरफ जा रही थी। इसी दौरान एक युवक पिछले डिब्बे में चढ़ता दिखाई दिया।
प्लेटफार्म आठ और छह में लगे सीसीटीवी कैमरे चेक किए गए तो वही व्यक्ति पैसेंजर ट्रेन के पिछले दरवाजे से उसी कोच से उतरता दिखाई दिया, जिसमें घटना हुई थी। इस बीच रेलवे प्रशासन की ओर से जानकारी दी गई कि बीते दो तीन दिनों से लगातार ट्रेनों की सीट काटने की घटना हो रही है।
इस पर जीआरपी और आरपीएफ की संयुक्त टीम को संबंधित की धरपकड़ के लिए लगाया। संबंधित व्यक्ति को हावड़ा से आने वाली दून एक्सप्रेस के एस-तीन कोच में रंगे हाथ पकड़ लिया गया। उसके कब्जे से ब्लेड, पेट्रोल का डिब्बा, पेट्रोल में भीगे दो कपड़े की कतरन, एक माचिस और सीसीटीवी फुटेज में पहने कपड़े बरामद किए हैं।
पूछताछ में उसने अपना नाम गोविंद सिंह पुत्र बचन सिंह (35 वर्ष) निवासी ग्राम माजफ, पोस्ट थौलधार, तहसील प्रतापनगर, जिला टिहरी बताया। आरोपित ने पैसेंजर ट्रेन की बोगी में आग लगाने की बात कबूल की। बताया कि वह हरिद्वार के होटलों में बर्तन मांजने का कार्य करता है।
कुछ होटल मालिकों ने उसके करीब 20 हजार रुपये रखे हैं। बताया कि उसका जिला सहकारी बैंक हरिद्वार के खाते में करीब 45 हजार रुपये जमा हैं। बताया कि अगस्त से ओरिजनल आइडी के बगैर उसके पैसे बैंक से नहीं निकल पा रहे थे।
इसके अलावा उसने आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन वह भी नहीं बन पा रहा था। आरोपित ने बताया कि उसकी मां का 1994 में गांव के पास बस दुर्घटना में देहांत हो गया था। इस कारण भी वह मानसिक रूप से परेशान रहता था। एएसपी मनोज कत्याल ने बताया कि उसके गांव के प्रधान मोहन और आरोपित के भाई उत्तम के अनुसार वह पिछले कई वर्षों से गांव नहीं आ रहा है और मानसिक रूप से कमजोर है।
…तो सिस्टम से आहत था आरोपित
मानसिक रूप से कमजोर आरोपित व्यक्ति की बातों से साफ पता चलता है कि वह सिस्टम से आहत था। उसकी बातों पर यकीन करें तो मेहनत मजदूरी करने के बाद भी कई होटल स्वामियों ने उसके पैसे रख रखे थे। इतना ही नहीं पैसे होने के बाद भी उसके पास ओरिजनल आइडी न होने से वह बैंक में जमा अपने पैसे तक नहीं निकाल पा रहा था। आइडी के फेर में उसके डीएल नहीं बन पा रहा था। सिस्टम से आहत होकर ही युवक के इस तरह के कदम उठाने की आशंकाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
एक रोज पहले भी की थी आगजनी
पैसेंजर ट्रेन की बोगी में आग लगाने से पहले मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति ने एक रोज पहले मेला प्लेटफार्म संख्या छह पर खड़ी उदयपुर सिटी एक्सप्रेस के खाली विकलांग डिब्बे में सीट कवर फाड़ी थी। साथ ही आगजनी की थी। हालांकि समय रहते उस पर काबू पा लिया गया था।
पुलिस टीम को एक हजार इनाम की घोषणा
पैसेंजर ट्रेन की बोगी में अग्निकांड का त्वरित खुलासा करने वाली पुलिस टीम को एसपी जीआरपी मंजूनाथ टीसी ने एक हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है। रेलवे के अन्य अधिकारियों ने भी टीम की प्रशंसा की है। खुलासा करने वाली टीम में एएसपी मनोज कत्याल, एसी आरपीएफ धर्मराज, आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार, एसओ जीआरपी अनुज सिंह, एएसआइ आरपीएफ महिपाल सिंह, एसआइ जीआरपी विनोद कुमार, हेडकांस्टेबल आरपीएफ धीरेंद्र ङ्क्षसह और सुरेश कुमार, कांस्टेबल आरपीएफ प्रदीप कुमार, कांस्टेबल जीआरपी महेश, लवकेश और विनीत शामिल थे।