बड़े मंगल पर प्रभु राम की इस विधि से करें पूजा, पूरे साल बरसेगी वीर बजरंगी की कृपा

बड़ा मंगल का पर्व बहुत कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा का विधान है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार यह पर्व (Bada Mangal 2025) 20 मई को पड़ रहा है। इस अवसर पर भगवान श्रीराम की पूजा का भी विधान है तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

ज्येष्ठ महीने में आने वाले सभी मंगलवार का खास महत्व है। इन्हें बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान हनुमान की पूजा के लिए समर्पित है। कहते हैं कि इस दिन प्रभु श्री राम की पूजा का भी बड़ा महत्व है, क्योंकि वह हनुमान जी के आराध्य हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ महीने का दूसरा बड़ा मंगल (Bada Mangal 2nd 2025) 20 मई को पड़ रहा है, जब इस व्रत को लेकर कुछ ही घंटे रह गए हैं, तो आइए हनुमान जी के अलावा राम जी को कैसे खुश करना हैं? इस आर्टिकल में जानते हैं।

राम जी की पूजा विधि (Ram Ji Worship Method)
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। पूजा घर को साफ करें। एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाएं। राम जी, माता सीता और भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करें। इसके बाद भगवान राम का ध्यान करें और उन्हें गंगाजल, चंदन, धूप, दीप, फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं।

पूजा में तुलसी दल अवश्य शामिल करें, क्योंकि यह उन्हें बहुत प्रिय है। इस दिन रामचरितमानस या सुंदरकांड का पाठ करें। अंत में आरती करें। पूजा में पवित्रता का खास ख्याल रखें।

बड़ा मंगल शुभ मुहूर्त (Bada Mangal 2025 Date And Time)
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के दूसरे मंगल (Bada Mangal 2025 Date) की शुरुआत 20 मई को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 21 मई को सुबह 4 बजकर 55 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर जेष्ठ महीने का दूसरा बड़ा मंगल 20 मई यानी कल मनाया जाएगा।

पूजा के लाभ
दूसरे बड़े मंगल पर भगवान राम की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि हनुमान जी की कृपा से भक्तों के सभी प्रकार के भय और संकट दूर होते हैं और पूरे साल किसी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है।

राम जी पूजा मंत्र (Ram Ji Worship Mantra)

  1. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,
    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम:
  2. लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
    आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

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