भारत खरीदेगा एक अरब डॉलर के दो स्टील्थ युद्धपोत, इस साल की चौथी बड़ी डील की
चीन और पाकिस्तान की चुनौती से निपटने के लिए भारत लगातार अपनी ताकत को बढ़ा रहा है. इसी लक्ष्य के तहत, बीते दिनों रक्षा मंत्रालय ने 3,000 करोड़ रुपये की सैन्य खरीद को मंजूरी दी है. इस डील में, नौसेना के दो स्टेल्थ फ्रिगेट (रडार की नजर में पकड़ नहीं आने वाले युद्धपोत) के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और सेना के मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’ के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहन की खरीद की जाएगी.
सेना के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दोनों खरीद के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से अनुमति मिली. डीएसी रक्षा खरीद को लेकर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की शीर्ष संस्था है. उन्होंने कहा, “रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में डीएसी ने करीब 3,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए मंजूरी दी.”
भारत एक अरब डॉलर की कीमत के दो स्टेल्थ फ्रिगेट खरीद रहा है और दोनों जहाज स्वदेश निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे. अधिकारी ने बताया, “देश में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल एक जांची-परखी और प्रमाणिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और इसे इन जहाजों पर प्राथमिक हथियार के तौर पर रखा जायेगा.”
अधिकारी ने बताया कि डीएसी ने भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’ के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहन (एआरवी) की खरीद की भी स्वीकृति दी. एआरवी का डिजाइन और विकास डीआरडीओ ने किया है और इसका निर्माण रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी बीईएमएल करेगी.
रूस में होगा ब्रह्मोस मिसाइलों का शुरुआती निर्माण
नौसेना के युद्धपोतों के लिए खास तौर से बनने वाली इन ब्रह्मोस मिसाइलों का शुरुआती निर्माण रूस में किया जाएगा. अमेरिकी धमकी के बावजूद भारत ने रूस से डिफेंस डील की थी. अमेरिका ने रूस से सैन्य सामान की खरीद पर प्रतिबंध लगा रखा है. भारत को उम्मीद है कि अमेरिका उसे छूट देगा. इससे पहले, अक्टूबर में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के दौरे के समय एस-400 एंटी मरीन मिसाइल खरीद के लिए सौदा किया था.
इस साल की चौथी बड़ी डिफेंस डील
यह इस साल की चौथी बड़ी डिफेंस डील है. इससे पहले, मई में 6900 करोड़, अगस्त में 46000 करोड़ और सितंबर में 9100 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद की गई थी. यूपीए सरकार के समय से ही 4 लाख करोड़ की रक्षा खरीद के 135 प्रसताव लंबित थे.