रियासतों के शहर में होता है भगवान सूर्य का स्तवन
ग्वालियर रियासतों का शहर। शाही जीवन और किले के लिए जाने जाने वाला यह शहर। हिंदुस्तान के दिल मध्यप्रदेश की शान ग्वालियर जिसे गजक और अन्य कारणों से भी जाना जाता है। इसी ग्वालियर में भगवान सूर्य का मंदिर। सूर्य जिसे ज्योतिषीय मान्यता में सभी ग्रहों में प्रधान माना जाता है। जो ऊर्जा प्रदान करता है। सूर्य जो जीवन के लिए आवश्यक है। जी हां, इस सूर्य मंदिर का निर्माण 1988 में लोकप्रिय उद्योगपति जीडी बिड़ला ने करवाया था। उन्होंने इस सूर्य मंदिर को लाल पत्थर से बनवाया। यह मंदिर अपने आप में धार्मिकता लिए हुए तो है लेकिन उतना ही भव्य और महत्वपूर्ण भी है। यहां के फूल मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। मंदिर में आरती तीन समय होती है।
एक आरती सुबह के समय होती है वहीं दोपहर को भी भगवान की आरती होती है तो दूसरी ओर शाम के समय सूर्यास्त के बाद यहां के पट बंद हो जाते हैं और इस समय आरती होती है। भगवान का यह मंदिर इतना वैज्ञानिक है कि मंदिर में प्रतिष्ठापित भगवान की मूर्ति पर सूर्य देव की किरणें सबसे पहले पड़ती हैं। यह मंदिर इतना सुंदर बना है कि यहां भगवान के रथ का चित्रण किया गया है। मंदिर की दीवारों पर शानदार कलाकृतियां निर्मित हैं और मंदिर के बाहरी क्षेत्र में रथ के पहियों की आकृति दी गई है जो मानव को जीवन के गमिमान होने का संकेत देती हैं। इन सबके इतर मंदिर का शिखर भी बेहद आकर्षक और धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यता लिए हुए निर्मित किया गया है।