संवेदनशीलता हो तो आम लोगों की समस्या और पीड़ा का हो सकता है सहज निदान,गांव का दुखड़ा रोया तो CM ने उठाया ऐसा कदम
आज सियासत में संवेदनशीलता की कमी को लेकर खूब सवाल उठते हैं। आम लोगों का मानना है कि नेताओं का जनता की पीड़ा और समस्याओं से कोई सरोकार या लेना-देना नहीं है। इस सबके बीच कई बार ऐसे उदाहरण मिलते हैं कि जिससे लगता है कि यदि राजनीति में संवेदना और सामाजिक सरोकारों के प्रति रुझान आ जाए तो लोगाें की पीड़ा का सहज निदान हो सकता है। ऐसा ही कुछ हरियाणा में देखने को मिला है। हुआ यूं कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल से भाजपा के एक कार्यकर्ता ने अपने गांव की समस्या बताई तो उन्होंने पूरे प्रदेश के गांवों के लिए कदम उठा लिया।
बनी राज्य के श्मशान घाट और कब्रिस्तानों के कायाकल्प की योजना, खर्च होेंगे 750 करोड़ रुपये
दरअसल, इससे हरियाणा के गांव-देहात में बदहाल श्मशान घाट और कब्रिस्तानों के कायाकल्प की राह निकली। हुआ यूं कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल से मिलने भाजपा का एक कार्यकर्ता आया और उसने अपने गांव की समस्या बताई और इससे ग्रामीण विकास के एक अलग पहलू की शुरूआत हे गई। जागरण से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने इस वाक्ये के बारे में बताया। सीएम ने बताया कि एक बार एक भाजपा कार्यकर्ता मेरे पास आया। वह बोला कि आज तक मैंने किसी नेता को कोई काम नहीं कहा, लेकिन मेरे गांव की एक समस्या है। लोग मुझे कहते हैं कि तुम भाजपा के कार्यकर्ता हो, मुख्यमंत्री से कहकर गांव का भला करा दो।
मनोहरलाल ने कहा, मैंने पूछा कि काम क्या है, तो कार्यकर्ता बोला कि श्मशान घाट तक जाने वाले रास्ते कच्चे पड़े हैं। बरसात में वहां कीचड़ हो जाता है। शेड के अभाव में बारिश के समय दाह संस्कार नहीं हो पाता। पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है। चारदीवारी के अभाव में श्मशान घाट और कब्रिस्तान में पशुओं का जमावड़ा रहता है।
सीएसआर फंड और सामाजिक संगठनों से जुटाए 600 करोड़, सरकारी खजाने से गए मात्र 150 करोड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कार्यकर्ता की बात समझते हुए अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश खुल्लर को बुलाया। उनसे कहा कि प्रदेश में जितने भी श्मशान घाट और कब्रिस्तान हैं, उनकी लिस्टिंग कराकर पता कराओ कि उनके कायाकल्प पर कितनी राशि खर्च होगी। इससे कार्यकर्ता अचंभित रह गया। बहरहाल, कुछ दिन बाद सीएम की टेबल पर रिपोर्ट आ गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक एक श्मशान घाट के कायाकल्प पर 25 से 30 लाख रुपये के खर्च का एस्टीमेट तैयार हुआ। पूरे प्रदेश के श्मशान घाट और कब्रिस्तानों के उद्धार के लिए 750 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव दिया गया।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की मीटिंग में इस रिपोर्ट को रखा और उनसे सुझाव मांगा। मनोहरलाल ने कहा कि इस सामाजिक काम के लिए सामाजिक संगठनों तथा उद्योगपतियों की मदद ली जानी चाहिए। हर बड़ा उद्योगपति अपने शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत धन सीएसआर (कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) फंड के लिए रखता है। उनसे संपर्क करें।
मनोहरलाल ने बताया कि इसके बाद अधिकारियों ने सामाजिक संगठनों और उद्योगपतियों से संपर्क साधा। आप हैरान होंगे कि 600 करोड़ रुपये की मदद के प्रस्ताव आ गए। इस तरह श्मशानों और कब्रिस्तानों के कायाकल्प पर राज्य सरकार के खजाने से मात्र 150 करोड़ रुपये खर्च हुए। अब पूरे प्रदेश में शिवधान (श्मशान घाट) और कब्रिस्तानों की हालत में सुधार का अभियान चल रहा है। कहीं स्थिति सुधर गई तो कहीं प्रक्रिया चल रही है।
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‘नहीं थमेगा गांवों के विकास का सिलसिला’
” हमारी सरकार का जोर गांवों के विकास पर है। दस हजार से अधिक आबादी वाले 126 गांव ऐसे चिन्हित किए गए, जहां सीवरेज डलने हैं। डेढ़ दर्जन गांवों में काम शुरू हो चुका। इस योजना के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये नाबार्ड से लिए। श्मशान घाट और कब्रिस्तानों के कायाकल्प का प्रस्ताव हमारे सामने आया। एक गांव की बजाय हमने पूरे प्रदेश में इस योजना को अंजाम पर पहुंचाया। इस परियोजना पर साढ़े सात सौ करोड़ रुपये खर्च हुए। कुछ इंतजाम सरकार ने किया और कुछ सामाजिक संग ठनों व उद्यमियों ने किया। विकास का यह सिलसिला लगातार जारी है।