अब राज्य परिवहन निगम की बसों को EV में किया जाएगा कन्वर्ट

बढ़ते प्रदूषण की समस्या झेल रहे देश में परिवहन निगमों की बसों का पुराना बेड़ा भी बड़ी समस्या बना हुआ है। सार्वजनिक परिवहन के संसाधनों की कमी से जूझ रहे तमाम राज्यों की स्थिति को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय चाहता है कि निगमों की जो बसें अभी संचालन के मानकों के अनुरूप फिट हैं, उनमें ईवी किट लगाने का विकल्प रखा जाए।

इसके लिए वाहन निर्माता कंपनियों से तकनीक पर काम करने के लिए कहा गया है। लगातार बढ़ रही वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तो न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध है, लेकिन अन्य राज्यों में ऐसा नहीं किया गया है। कुछ राज्यों में अलग-अलग अवधि के वाहनों पर प्रतिबंध लगा भी है, लेकिन अमल को लेकर उतनी गंभीरता नहीं है।

15 साल पुराने वाहन का नहीं होगा रजिस्ट्रेशन
मगर, केंद्र सरकार की चिंता पर्यावरण के साथ ही मानव जीवन को लेकर भी है, इसलिए पुराने वाहनों को चलन से बाहर करने के लिए स्क्रैपिंग नीति पर जोर है। वर्तमान में भारत स्टेज- 6 यानी बीएस-6 श्रेणी के वाहन प्रदूषण के मानकों पर फिट घोषित हैं। बीएस-5 वाहन भी चल रहे हैं, लेकिन उससे पुराने वाहन चिंता का सबब हैं। हालांकि सरकारी वाहनों को लेकर नियम तय कर दिए गए हैं कि 15 वर्ष पुराने डीजल वाहनों का पंजीयन नवीनीकरण नहीं होगा।

बसों की संख्या लगभग 2.8 लाख
इसके बावजूद एक समस्या यह भी है कि राज्यों में बस बेड़ा अधिकतर पुराना ही है और सभी बसों को स्क्रैप करा देने की स्थिति नहीं है। हाल के वर्षों के एक अध्ययन के मुताबिक, परिवहन निगमों द्वारा संचालित की जा रही बसों की संख्या लगभग 2.8 लाख है, जबकि आबादी के अनुरूप आवश्यकता करीब 30 लाख बसों की है। ऐसे में विचार है कि पुरानी फिट बसों को पर्यावरण के मानकों के अनुरूप बनाकर संचालन में रखे जाने के विकल्प पर काम किया जाए।

‘पर्यावरण की सुरक्षा रहेगी’
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन का कहना है कि आमजन को स्वयं पर्यावरण और मानव जीवन को ध्यान में रखते हुए अनफिट वाहनों को स्क्रैप करा देना चाहिए, लेकिन सरकार इसे कैसे आगे बढ़ा सकती है, इस पर विचार चल रहा है।

उन्होंने बताया कि आटोमोबाइल कंपनियों के साथ इस संबंध में चर्चा की गई है। उनसे कहा है कि ऐसी तकनीक पर काम करें कि परिवहन निगमों की फिजिकली फिट पुरानी बसों के डीजल इंजन को निकालकर उनके स्थान पर इलेक्टि्रक व्हीकल किट लगाई जा सके। यह तकनीक सफल होती है तो पर्यावरण की सुरक्षा रहेगी और राज्य भी बस बेड़े के अधिक स्क्रैपिंग के भार से बच सकेंगे।

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