अमेरिकी द्वीप में ताइवानी राष्ट्रपति का रेड कार्पेट स्वागत
बीजिंग ताइवान को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने तथा उसके संप्रभु राज्य होने के दावे का विरोध करता है। वह खास तौर पर ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक संपर्क पर नाराजगी व्यक्त करता है।
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते प्रशांत क्षेत्र के दौरे पर हैं। इस दौरे के क्रम में वे शनिवार को हवाई पहुंचे। जहां होनोलुलु के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टरमैक पर उनका रेड कार्पेट स्वागत किया गया। इस दौरान फूल मालाएं पहनाकर उनका ‘अलोहा’ अभिवादन भी हुआ। इस बारे में उनके कार्यालय ने कहा कि यह पहली बार था जब अमेरिकी द्वीप पर किसी ताइवानी राष्ट्रपति का इतना भव्य स्वागत किया गया। वहीं, ताइवान को अपना हिस्सा बताने वाले चीन ने बतौर राष्ट्रपति लाई की पहली विदेश यात्रा की कटु आलोचना का है। चीन ने ताइवान के स्वतंत्रता के किसी भी प्रयास को दृढ़ता से कुचलने की धमकी दी है।
होनोलुलु के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद लाई ने अमेरिकी द्वीप राज्य का भ्रमण किया। इस दौरान वे प्रशांत द्वीप इतिहास संग्रहालय, आपातकालीन प्रबंधन केंद्र और पर्ल हार्बर में यूएसएस एरिजोना स्मारक भी पहुंचे। हवाई में वाशिंगटन में ताइवान के अमेरिकन इंस्टीट्यूट की प्रबंध निदेशक इंग्रिड लार्सन, हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन तथा अन्य लोगों ने उनसे मुलाकात भी की।
आज शाम में दे सकते हैं पहला सार्वजनिक भाषण
अपने दौरे के क्रम में लाई आज शाम को रात्रिभोज में सप्ताह भर की यात्रा का पहला सार्वजनिक भाषण देने की उम्मीद है। इस रात्रिभोज में अमेरिकी सरकारी अधिकारी और विदेश में रहने वाले ताइवान के लोग भी शामिल होंगे। हवाई के बाद लाई ताइवान के सहयोगी मार्शल द्वीप, तुवालु और पलाऊ का दौरा करेंगे। ये उन 12 देशों में से एकमात्र प्रशांत द्वीप राष्ट्र हैं जो ताइवान के राज्य के दावे को मान्यता देते हैं। इसके अलावा, लाई गुआम में भी एक रात रुकेंगे।
लाई ने ताइपे में उड़ान भरने से कुछ समय पहले कहा कि इस यात्रा से मूल्यों पर आधारित लोकतंत्र के एक नए युग की शुरुआत हुई है। इसके साथ ही उन्होंने इस यात्रा को सुचारू बनाने में मदद करने के लिए अमेरिकी सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र, शांति और समृद्धि के मूल्यों के आधार पर अपने सहयोगियों के साथ सहयोग बढ़ाना और साझेदारी को गहरा करना जारी रखना चाहते हैं।
गौरतलब है कि बीजिंग ताइवान को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने तथा उसके संप्रभु राज्य होने के दावे का विरोध करता है। वह खास तौर पर ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक संपर्क पर नाराजगी व्यक्त करता है। वहीं, अमेरिका भले ही कूटनीतिक रूप से ताइवान को मान्यता नहीं देता है, लेकिन वह इसका सबसे महत्वपूर्ण समर्थक और हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
लाई की प्रशांत क्षेत्र की यात्रा पर चीन ने दर्ज कराया विरोध
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह लाई के इस कदम की कड़ी निंदा करता है। उसने अमेरिका के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है। बयान में यह भी कहा गया है कि चीन घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है। वह अपने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ एवं मजबूत कदम उठाएगा।
ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
गौरतलब है चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। अब तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है, जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है। सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीजें होती रहती हैं, जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। चीन सितंबर 2020 से ‘ग्रे जोन’ रणनीति का अधिक बार उपयोग कर रहा है।
जानकारों का कहना है कि ग्रे जोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीका है, जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमजोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है।