इस शख्स ने आइंस्टीन के दिमाग को किया था चोरी
आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक अचंभित करने वाली घटना होती है। थॉमस हार्वे नाम का एक पैथोलॉजिस्ट उनके मस्तिष्क को चुरा लेता है। थॉमस हार्वे आइंस्टीन के इंटेलिजेंस से काफी प्रभावित था।
मानव विकास के इतिहास में सापेक्षतावाद का सिद्धांत एक बहुत बड़ी खोज थी। साल 1905 में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा दिए गए सापेक्षतावाद के सिद्धांत ने वैज्ञानिकों की दुनिया में हलचल मचा दी थी। इस सिद्धांत ने हमें बताया कि समय और स्पेस दोनों परस्पर एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से समय और स्पेस का जो फैब्रिक है वह बेंड हो जाता है। इसकी वजह से समय धीमा हो जाता है। इस खोज से यह बात साबित हुई कि समय हर जगह एक समान नहीं है। इस एक खोज ने उस समय ब्रह्मांड को लेकर जो न्यूटोनियन समझ वैज्ञानिकों के बीच थी उस पर कई प्रश्नचिन्ह लगा दिए। आज के समय दुनिया के कई बड़ी वैज्ञानिक खोजें जैसे कि जीपीएस, न्यूक्लियर एनर्जी, ग्रैविटेशनल वेव एस्ट्रोनॉमी आदि सापेक्षतावाद के सिद्धांत पर ही आधारित हैं।
सोचिए जरा इस विशाल ब्रह्मांड में जहां हमारी पृथ्वी का अस्तित्व न के बराबर है। वहां पर एक शख्स द्वारा इस तरह की असाधारण खोज करना बहुत बड़ी बात थी। इन्हीं सब खोजों की वजह से आइंस्टीन प्रतिभा के पर्याय बन चुके थे। उनकी प्रतिभा और बुद्धी की चर्चा हर जगह हो रही थी। 18 अप्रैल, 1955 को प्रिंसटन, न्यू जर्सी में अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन हुआ।
आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक अचंभित करने वाली घटना होती है। थॉमस हार्वे नाम का एक पैथोलॉजिस्ट उनके मस्तिष्क को चुरा लेता है। थॉमस हार्वे आइंस्टीन के इंटेलिजेंस से काफी प्रभावित था। उनका मानना था कि आइंस्टीन की बुद्धि का अध्ययन करके उनकी इंटेलिजेंस के रहस्य को सुलझाया जा सकता है।
इसी चीज को ध्यान में रखते हुए अल्बर्ट आइंस्टीन के मस्तिष्क को चुराने के बाद थॉमस हार्वेे ने उसे अपने पास दशकों तक रखा। इस दौरान थॉमस हार्वे ने आइंस्टीन के मस्तिष्क के 240 टुकड़े किए थे। इन टुकड़ों को उसने सिलोडीन में संरक्षित करके रखा था।
आइंस्टीन के मस्तिष्क पर अध्ययन करने के बाद हार्वे और उसके सहयोगियों ने साल 1985 में स्टडी पेपर पब्लिश किया। इसमें यह दावा किया गया कि आइंस्टीन के ब्रेन में दो प्रकार की कोशिकाओं न्यूरॉन और ग्लिया का असामान्य अनुपात था। हालांकि, यह स्टडी काफी विवादास्पद थी।