उत्तराखंड: अब फिर टलेंगे प्रदेश की 674 सहकारी समितियों के चुनाव
सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने चुनाव की तिथि घोषित करने के साथ ही समितियों से पिछले तीन साल में किसी तरह का लेनदेन न करने वाले सदस्यों को भी मतदान का अधिकार देने के लिए नियम में छूट का शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक इस प्रस्ताव को शासन की मंजूरी नहीं मिली।
प्रदेश की 674 सहकारी समितियों के आगामी 16 एवं 17 दिसंबर होने वाले चुनाव फिर टलेंगे। शासन ने चुनाव को लेकर सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को नये सिरे से समय-सारिणी जारी करने की सहमति दी है।
चुनाव टलने की वजह शासन स्तर से अब तक निर्वाचन नियमावली में बदलाव न हो पाने और महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होना बताई गई है। प्रदेश की सहकारी समितियों में चुनाव को लेकर सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने चुनाव की तिथि घोषित करते हुए बताया गया था कि इस महीने दिसंबर में चुनाव होंगे। जबकि, इससे पहले नवंबर में समितियों के चुनाव प्रस्तावित थे।
पहले राज्य में सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों के चुनाव और इसके बाद जिला एवं राज्य सहकारी समितियों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के चुनाव कराए जाने थे। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने चुनाव की तिथि घोषित करने के साथ ही समितियों से पिछले तीन साल में किसी तरह का लेनदेन न करने वाले सदस्यों को भी मतदान का अधिकार देने के लिए नियम में छूट का शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक इस प्रस्ताव को शासन की मंजूरी नहीं मिली। वहीं, महिलाओं को सहकारी समितियों में 33 फीसदी आरक्षण का मामला भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
छूट न मिली तो 33 हजार महिलाएं होंगी मताधिकार से वंचित
देहरादून। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसा दत्त पांडे के मुताबिक, समितियों से खाद, बीज एवं अन्य किसी तरह का लेनदेन न करने वाले सदस्य भी चुनाव में मतदान कर सकें, इसके लिए नियम 12 (ख) में छूट का प्रस्ताव है। यदि छूट न मिली तो इससे 33 हजार महिलाएं एवं 78 हजार पुरुष मतदाता मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।
सहकारी समितियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण वैध है या नहीं सहित कुछ अन्य मसलों पर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। इस पर सोमवार को (आज) सुनवाई है। प्राधिकरण को चुनाव के लिए नये सिरे से समय-सारिणी जारी करने की सहमति दी गई है। – दिलीप जावलकर, सचिव, सहकारिता