एनसीआर में बन सकेंगे 30 लाख सस्ते मकान, शहरी गरीब और मध्यवर्ग को मिलेगा लाभ

केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के तहत शहरी गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों के लिए एक करोड़ सस्ते मकान बनाने की घोषणा का लाभ एनसीआर के निवासियों को भी मिलेगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए 10 लाख करोड़ के बजट की घोषणा की है। इसमें पांच वर्ष में 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है। इससे एनसीआर में दो से तीन वर्ष में करीब 30 से 35 लाख सस्ते मकान बन सकेंगे।

इससे सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को मिलेगा जो एनसीआर में कम बजट में आशियाना तलाश कर रहे हैं। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को भी बूस्टर डोज मिलेगा। निर्माण गतिविधियां शुरू होने से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही निर्माण सामग्री की खपत भी बढ़ेगी। जानकारों के मुताबिक सस्ते मकान चार श्रेणियों में बनेंगे। सरकार खुद ही सस्ते मकान बनाने की स्कीम लॉन्च कर सकती है। इसके अलावा सरकार बिल्डरों को इसे बनाने के लिए टेंडर जारी सकती है। वहीं बिल्डर खुद ही अपनी जमीन पर सस्ते मकान बनाकर लोगों को बेच सकते हैं। जिस पर सरकार की ओर से छूट दी जा सकती है। वहीं व्यक्तिगत तौर भी लोग अपना मकान बनाते समय सरकार की मदद ले सकते हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अभी तक इस मामले पर काम नहीं हो रहा था। अब सरकार ने इस तरह के मकान बनाने की घोषणा के बाद बिल्डरों में उत्साह है।

प्रधानमंत्री आवास योजना का भी मिलेगा फायदा
एनसीआर में पीएम आवास योजना का भी लाभ लोगों को मिलेगा। इस योजना के तहत तीन करोड़ मकान बनाए जाने हैं। इसका फायदा छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों को भी होगा। हालांकि इस योजना में 60 वर्गमीटर तक के मकानों के निर्माण के लिए सरकार की मदद मिलेगी। इसमें उनको भी मदद मिल पाएगी, जो कि खुद से घर का निर्माण कर रहे हैं। माना जा रहा है कि एनसीआर में इनकी संख्या करीब 10 लाख होगी क्योंकि यहां ग्रामीण इलाकों वाला वैसा माहौल नहीं है, जो कि सुदूर क्षेत्रों का है।

शहरी गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के सस्ते मकानों के लिए सरकार ने 10 लाख करोड़ का आवंटन किया है। इससे न केवल मध्यमवर्ग के घर का सपना पूरा होगा बल्कि इससे जुड़े सभी लोगों को फायदा होगा। देश में एनसीआर से करीब 30 से 35% सहभागिता होती है। ऐसे में एनसीआर में 30 से 35 लाख सस्ते मकान बनेंगे। – मनोज गौड़, अध्यक्ष, क्रेडाई एनसीआर

पीएम आवास योजना के तहत 10 लाख करोड़ का आवंटन हुआ है। जिससे एक करोड़ गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास की आवश्यकता पूरी होगी। वहीं फैक्ट्री के कर्मचारियों के लिए पीपीपी मॉडल पर रेंटल हाउसिंग का फैसला भी स्वागत योग्य है।
– रतन हवेलिया, चेयरमैन, हवेलिया ग्रुप

शहरों के हिसाब से सस्ते मकानों की अलग-अलग श्रेणी
बिल्डरों के मुताबिक सस्ते मकान की कोई तय परिभाषा नहीं है। सरकार की ओर से 8 से 10 लाख रुपये के फ्लैट बनाए जाते हैं। बिल्डर ग्रुप हाउसिंग परियोजना के तहत 100 फ्लैट प्रति हेक्टेयर ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए बनाते हैं। फ्लैट की कीमत भी शहरों के हिसाब से अलग-अलग होती है। दिल्ली-एनसीआर में जिस आकार के फ्लैट की कीमत 50 लाख होगी वही यूपी या अन्य राज्यों के दूसरे शहरों में उसकी कीमत खासी कम होगी। टियर-2 और टियर-3 के शहरों में इसकी कीमत और कम हो जाती है। हालांकि नोएडा में इस श्रेणी में 15 से 45 लाख के फ्लैट आते हैं।

फैक्टरी के कामगारों के लिए डॉरमेट्री फैक्टरी के कामगारों के लिए परिसर में डॉरमेट्री बनेगी। बिल्डर इसका फायदा उठाने की तैयारी कर चुके हैं। उनकी ओर से इस तरह के घर या हॉल बनाए जाएंगे जिसमें कई बेड लगे हों। यहां कामगार रात में आराम कर सकेंगे। हालांकि इसके लिए कामगारों को किराया देना होगा। इस तरह की योजना न्यू नोएडा के मास्टर प्लान में शामिल है। वहां कामगारों को फैक्टरी परिसर में ही घर बनाकर दिया जाएगा। इस तरह की योजना नोएडा में नहीं है।

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