कड़े तेवर वाले विपक्ष की धार कुंद कर गए सीएम सैनी, शोर-शराबे के बीच की बड़ी घोषणाएं

हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत में राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जिस आक्रामकता से आगाज किया था, अंजाम उतना काबिलेगौर नहीं रहा। सदन के पहले ही दिन कांग्रेस काम रोको प्रस्ताव लाई। विधानसभा अध्यक्ष ने उसे स्वीकार भी कर लिया, मगर न तो काम रुका और न ही सत्ता पक्ष झुका।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने चिर परिचित अंदाज से न सिर्फ विपक्ष की धार को कुंद किया बल्कि शोक-शराबे के बीच लोक लुभावनी घोषणाएं कर पूरा माइलेज ले गए। उन्होंने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष को आंकड़ेबाजी में ऐसा उलझाया कि पिछले कुछ महीनों में हुई अपराध की किसी भी बड़ी घटना पर कांग्रेस के दिग्गज विधायक सरकार को घेर नहीं पाए।
पहले दिन आए स्थगन प्रस्ताव
पहले दिन कांग्रेस के युवा विधायक बलराम डांगी, जस्सी पेटवाड़, इंदु राज नरवाल, विकास सहारण ने जिस तरह से स्थगन प्रस्ताव के मुद्दे मजबूती से रखा, उससे यही कयास लगाए जाने लगे कि इस बार सदन में सत्ता पक्ष पर विपक्ष पर भारी पड़ेगा। कोई कामकाज नहीं होगा, विपक्ष की मांग पर पहले कानून व्यवस्था पर सत्ता पक्ष को जवाब देना होगा।
ऐसे विपक्ष पर भारी पड़ी सरकार
स्थगन प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया, मगर सदन की कार्यवाही चलती रही। कोई काम नहीं रुका। यहीं से विपक्ष के तेवर ढीले पड़ गए। जब सदन के अंदर कांग्रेस विधायक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे तो उस दौरान मुख्यमंत्री मौजूद ही नहीं थे। गृह मंत्री का प्रभार भी उनके पास है। विपक्ष चाहता तो मुख्यमंत्री को सदन में बुलाने के लिए अड़ सकता था, मगर विपक्ष ने भी एक बार इसका विरोध नहीं किया। जब सीएम के जवाब देने की बारी आई तो रोहतक के चर्चित कांड उठाकर कांग्रेस को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। दर्ज मामलों के आंकड़े पिछले साल की तुलना में कम थे, जो सरकार के ही पक्ष में गया।
वहीं, मुख्यमंत्री ने 84 के दंगों के पीड़ितों को परिवारों के सदस्यों को नौकरी देने का एलान कर न सिर्फ हरियाणा के सिखों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की बल्कि इसकी गूंज पंजाब तक पहुंची है। बल्कि 84 के दंगों से प्रभावित परिवारों को नौकरी देने के मुद्दे को गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित बताकर अपने फैसले को पूरे देश में चर्चा में ला दिया है। वहीं, अवैध उद्योगों को नियमित करने का बिल पास कराकर सैकड़ों छोटे उद्यमियों को बड़ी राहत दी है।
इसके साथ ही आखिरी दिन गरीबों को मिलने वाले प्लाट की स्टांप ड्यूटी खत्म कर मुख्यमंत्री संदेश दे गए कि वे अब गरीबों के सबसे बड़े हितैषी हैं। सदन में घमासान के बीच पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सम्मानित व पिता सामान बताकर वह संदेश देने में कामयाब रहे कि चाहे कितना भी तनाव भरा माहौल हो, वे अपनी जड़े नहीं भूलने वाले। कुल मिलाकर विपक्ष ने पहले दिन स्कोर किया, मगर बाजी सत्ता पक्ष मार ले गया।