क्या अमेरिका की तरह भारत भी कर सकता है परमाणु परीक्षण?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा परमाणु परीक्षण की घोषणा से रूस में खलबली मच गई है और CTBTO ने विश्व शांति पर इसके नकारात्मक प्रभाव की चेतावनी दी है। भारत ने 1998 में अंतिम परीक्षण किया था। यदि भारत फिर से परीक्षण करता है, तो अमेरिका के साथ उसका परमाणु समझौता रद्द हो सकता है, जिससे पाकिस्तान और चीन की प्रतिक्रियाएं, कूटनीतिक नुकसान और गंभीर आर्थिक हानियां हो सकती हैं।

पिछले महीने अक्टूबर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एलान किया था कि अमेरिका जल्द ही परमाणु हथियारों की टेस्टिंग करेगा। ट्रंप की इस घोषणा से रूस में खलबली मच गई।

रूस अभी तक ट्रंप के इस बयान पर सफाई का इंतजार कर रहा है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की, तो रूस ने भी इसको फॉलो किया। 29 अक्टूबर को ट्रंप ने अपने एलान में यह नहीं बताया कि यह टेस्टिंग किस तरह की होगी।

ट्रंप का कहना है कि यह टेस्टिंग दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए की जा रही है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कयास लगाए जा रहे हैं कि यह टेस्ट जमीन के नीचे होने की संभावना है। कॉम्प्रीहेंसिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (CTBTO) ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगर यह टेस्ट हुआ, तो इससे विश्व की शांति और सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।

CTBTO का हिस्सा नहीं है भारत

अब सवाल यह है कि अमेरिका के जिस टेस्ट से पूरी दुनिया में खलबली मची है, उसका भारत पर क्या असर होगा? भारत ने आखिरी बार 1998 में ऑपरेशन शक्ति के अंतर्गत परमाणु परीक्षण किया था और खुद को परमाणु संपन्न देश घोषित कर दिया था। हालांकि, भारत CTBTO का हिस्सा नहीं है।

2008 में अमेरिका से किया समझौता

2008 में भारत ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किया था। ऐसे में अगर भारत दोबारा परमाणु परीक्षण करता है, तो अमेरिका इस समझौते को रद कर सकता है। भारत के परमाणु परीक्षण को लेकर बहस छिड़ी हुई है। 1998 में हुए परमाणु परीक्षण को 27 साल हो चुके हैं। अब भारत ने परमाणु हथियारों में कई आधुनिक चीजें जोड़ी गई हैं। पिछले साल जब अग्नि-5 मिसाइल की टेस्टिंग ने इस बहस को और भी ज्यादा हवा दे दी है। लेकिन, अगर भारत ने परमाणु परीक्षण किया, तो इसके नतीजे क्या हो सकते हैं?

पाकिस्तान एंगल

अमेरिकी फ्रेमवर्क के अनुसार, किसी भी परीक्षण के बाद सिविल न्यूक्लियर कॉपरेशन को खत्म कर दिया जाएगा। इससे ईंधन की सप्लाई और भविष्य की रिएक्टर डील पर खतरा मंडरा सकता है। खासकर भारत के परमाणु परीक्षण पर पाकिस्तान भी प्रतिक्रिया दे सकता है। इसके अलावा चीन में भी हलचल तेज हो सकती है।

कूटनीतिक नुकसान

परमाणु के इस्तेमाल को लेकर भारत ‘नो फर्स्ट यूज’ की नीति अपनाता है। दुनिया में भारत की छवि एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में बन चुकी है। वहीं, भारत के करीबी दोस्त जापान और फ्रांस जैसे देश भी परमाणु परीक्षण की आलोचना कर सकते हैं।

आर्थिक हानि

1998 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था, तो उसका असर महज कुछ दिनों तक ही देखने को मिला था। हालांकि, अगर भारत अब ऐसा करेगा, तो भारत को आयत बैन, बीमा पर पाबंदियां और शेयर मार्केट में उथल-पुथल समेत भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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