क्या बिहार को स्वीकार होंगे कन्हैया कुमार? राहुल के दौरे से पहले जानिए उनका चुनावी प्रदर्शन

पिछली बार जहां सीपीआई प्रत्याशी के रूप में औंधे मुंह गिरे थे कन्हैया कुमार, उस बेगूसराय से कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी उन्हें री-लांच कर रहे। क्या रहा है कन्हैया कुमार का प्रदर्शन और आगे क्या उम्मीद कर रही कांग्रेस?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अभी करीब छह-सात महीने का समय है। राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। गतिविधियां तेज कर कांग्रेस इस बार ज्यादा मुखर रूप से उतरी हुई नजर आ रही है। आश्चर्यज के रूप में कांग्रेस ने युवा नेता कन्हैया कुमार को दिल्ली में आजमाने के बाद बिहार भेजा है। कन्हैया दिल्ली में कांग्रेस की ओर से आजमाए जाने के पहले बिहार में वामदल के साथ अपनी किस्मत आजमा कर निकले थे। इस बार लौटे हैं तो कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी उन्हें ‘री-लांच’ करने बेगूसराय भी पहुंच रहे हैं। सोमवार को राहुल गांधी के साथ कन्हैया कुमार को पदयात्रा करनी है। युवाओं का मुद्दा है। माहौल भी बना हुआ है। ऐसे में यह भी जानना चाहिए कि कन्हैया कुमार का सियासी सफर कहां से शुरू होकर कहां तक पहुंचा और आगे की तैयारी क्या है?
जेएनयू के विवादित नारे से राजनीति में प्रवेश
याद दिलाने की जरूरत नहीं कि जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली में विवादित बोल के कारण कन्हैया कुमार पहली बार चर्चा में आए थे। कन्हैया का जो बयान चर्चा में रहा था, उसे लेकर पूरे देश में कहीं-न-कहीं गुस्से का माहौल था। इसके बावजूद कन्हैया का चेहरा तेजी से उभरा था। दिल्ली में चर्चित यह युवक बेगूसराय का है, यह जानकर उस समय बिहार में भी रोष का माहौल बना था। फिर उसी माहौल में उनके साथ एक लंबी-चौड़ी नेताओं की टोली जुटी और उसने खुलकर साथ दिया।
बेगूसराय में गिरिराज सिंह से टक्कर पर क्या हुआ?
कन्हैया कुमार जब दिल्ली में चर्चा में आए तो भाजपा-विरोधी नेताओं का एक बड़ा नेटवर्क उनके साथ जुड़ता गया। यह नेटवर्क कन्हैया के प्रति इतना समर्पित था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सीपीआई ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय संसदीय सीट पर प्रत्याशी बनाया तो एक-एक कर देश के तमाम ऐसे दिग्गज चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे। बेगूसराय उस समय हॉट सीट बन गया, क्योंकि पूरे देश से भाजपा-विरोधी नेताओं का हुजूम कन्हैया के समर्थन में बिहार आ रहा था।
इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने भी बेगूसराय से प्रत्याशी दे दिया था, हालांकि लोकसभा चुनाव परिणाम आया तो सीपीआई और राजद का वोट मिलाकर भी भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी गिरिराज सिंह से बहुत दूर था। गिरिराज सिंह को इस चुनाव में 6,92,193 वोट मिले थे। कन्हैया कमार को 2,69,976 और राजद के मो. तनवीर हसन को 1,98,233 वोट मिले थे।
बेगूसराय से उखड़े तो कांग्रेस के हाथ ने लपका
बेगूसराय लोकसभा सीट पर करारी हार के बाद कन्हैया कुमार को लेकर वामदलों के अंदर भी सहजता नहीं दिखी और वह खुद भी असहज स्थिति में नजर आए। इधर-उधर नजर दौड़ाने के बाद कन्हैया ने वापस अपनी राजनीति के जड़, यानी दिल्ली की ओर रुख किया। कांग्रेस ने उन्हें हाथोंहाथ लिया। बिहार के युवा चेहरे को कांग्रेस ने दिल्ली में वक्त के साथ बड़ा मौका भी दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा के मनोज तिवारी के सामने कन्हैया कुमार को उतारा। कन्हैया ने यहां मनोज तिवारी को ठीकठाक टक्कर दी। बेगूसराय में गिरिराज सिंह के 56.44 प्रतिशत के मुकाबले जहां कन्हैया को 22.01 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं उत्तर पूर्वी दिल्ली में मनोज तिवारी के 53.1 प्रतिशत के मुकाबले 44.16 फीसदी वोट मिले। मनोज तिवारी को 8,24,451 मत मिले थे तो कन्हैया कुमार को 6,85,673 वोट मिले थे। कन्हैया को बेगूसराय से ज्यादा दिल्ली में महत्व मिला, यह तो तय हो गया।
दिल्ली चुनाव में नहीं थे सक्रिय, अब बिहार में वापसी
इस साल हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कन्हैया कांग्रेस के लिए उस तरह सक्रिय नहीं नजर आए। तब यह बात भी उठी कि वह कांग्रेस में खुद को असहज मान रहे हैं। लेकिन, ऐसी बातें हवा में उड़ गईं जब बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के साथ-साथ कांग्रेस ने बिहार में एक और युवा नेता कन्हैया कुमार को मोर्चे पर लगा दिया। कांग्रेस ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह से कुर्सी छीनी तो उन्हीं की भूमिहार जाति के युवा नेता कन्हैया कुमार को सक्रिय तौर पर बिहार में लाकर खड़ा कर दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दलित विधायक राजेश राम को बनाया गया तो कन्हैया कुमार को ‘री-लांच’ करने खुद राहुल गांधी आ रहे हैं।
बेगूसराय में विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा क्यों हो रही?
इस बार बेगूसराय के लोग कन्हैया कुमार की पुरानी बातों को भूल चुके हैं। विरोध नहीं हो रहा है। समर्थन के लिए चुनाव के समय का इंतजार है, हालांकि युवाओं में कन्हैया के आने से जोश दिख रहा है। कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा एक बार रुकने के बाद फिर शुरू हो रही है। यह यात्रा अब 11 अप्रैल तक ही होगी। इसी पदयात्रा में शामिल होने के लिए राहुल गांधी बेगूसराय दौरे पर हैं। कन्हैया कुमार के बिहार चुनाव में उतरने की संभावना कितनी है, इस सवाल का जवाब अभी किसी स्तर से नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ बेगूसराय में तेघड़ा या बछवाड़ा विधानसभा सीट पर कन्हैया के उतरने की चर्चा भी गरम है।
तेघड़ा सीट अभी सीपीआई के पास है। सीपीआई विधायक रामरतन सिंह के लोग कन्हैया के आने से इनकार कर रहे हैं। बछवाड़ा सीट से भाजपा के सुरेंद्र मेहता विधायक हैं। उन्होंने सीपीआई प्रत्याशी को हराया था। सीपीआई की दावेदारी यहां से कमजोर मानते हुए कन्हैया कुमार के लिए यह सीट मुफीद बताई जा रही है। इन दोनों सीटों की चर्चा के बीच कांग्रेस इसपर अभी चुप्पी साधे है, जबकि राजद और वामदलों का कहना है कि कन्हैया महागठबंधन के नेता हैं और अगर कोई सीट दी जाती है तो वह फैसला ऊपर से होगा।