क्या होता है सूर्य ग्रहण के समय दिखने वाला रिंग ऑफ फायर?

खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए दो अक्तूबर का दिन बेहद खास है। दरअसल, साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण दो अक्तूबर लगने जा रहा है। हालांकि, यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। इस दौरान आसमान में एक आग का छल्ला दिखाई देता है। पृथ्वी के सबसे नजदीक का सितारा सर्य अपने स्थान पर स्थित है। सूर्य की पृथ्वी परिक्रमा करती है।

चंद्रमा भी पृथ्वी की तरह सूर्य की परिक्रमा करता है, लेकिन चांद धरती का भी चक्कर लगाता है। कई बार चंद्रमा घूमते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। इससे कुछ समय के लिए सूर्य के प्रकाश को धरती पर आने से रोक देता है। इस खोगलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा की परछाई धरती पर पड़ती है।

क्या होता है सूर्य ग्रहण?
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो चांद के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए पूरी तरह से ढक जाता है। इस प्रक्रिया को ही सूर्य ग्रहण लगना कहा जाता है। इस खगोलीय घटना के दौरान जिस स्थान पर परछाई पड़ती है, वहां पर आसमान में सूर्य आधा या पूरा हिस्सा ढका दिखेगा। दो अक्तूबर को लगने वाला साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा।

इस सूर्य ग्रहण के दौरान धरती से चांद दूर होता है। इसकी वजह से यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता है। इससे आसमान में आग का गोला (नजर आता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं, तो सूर्य ग्रहण लगता है।

क्या है वलयाकार सूर्य ग्रहण?
जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, तो उसकी दूरी भी बदलती है। कभी वह पृथ्वी के नजदीक होता, तो कभी दूर। जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है, तो यह हमें बड़ा नजर आता है। वहीं जब यह धरती से दूर होता है तो छोटा दिखाई देता है।

सूर्य ग्रहण के समय अगर चांद पृथ्वी के पास होता है, तो आकार की वजह से पृथ्वी से यह हमें सूर्य को पूरी तरह ढकता नजर आता है। लेकिन, जब यह धरती से दूर होता है, तो छोटे आकार की वजह से सूर्य के बीच के हिस्से को ही ढक पाता है। सूर्य का बाकी किनारा नजर आता है, जो आसमान में आग का छल्ला बनाता है।

कब लगेगा सूर्य ग्रहण?
पूर्ण सूर्य ग्रहण की तरह ही वलयाकार ग्रहण भी चार चरणों में लगेगा। अमेरिका के स्थानीय समय के मुताबिक, 11:42 बजे सुबह आंशिक ग्रहण की शुरुआत होगी, जब चंद्रमा सूर्य के सामने से गुजरेगा। इसके बाद 12 बजकर 50 मिनट पर दोपहर में वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिणी प्रशांत महासागर में शुरू होगा। शाम 4:39 बजे रिंग ऑफ फायर अटलांटिक महासागर में खत्म होगा। शाम में 5:47 बजे दक्षिणी अटलांटिक महासागर में ग्रहण खत्म होगा।

क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण?
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप और प्रशांत महासागर में नजर आएगा। अर्जेंटीना और चिली के कुछ हिस्सों में यह सूर्य ग्रहण नजर आ सकता है। महाद्वीप के बाकी हिस्सों में यह आंशिक रूप से नजर आएगा।

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