चार हजार साल पुराने रहस्य से उठा पर्दा, वैज्ञानिकों का दावा- ऐसे बनाए गए थे मिस्र में पिरामिड!
मिस्र के पिरामिड को लेकर कई रहस्य हैं। इन रहस्यों को आज तक वैज्ञानिक नहीं सुलझा पाए हैं। यह पिरामिड दुनिया को आकर्षित करते हैं। हजारों साल पहले फिरौन के लिए भव्य मकबरे के तौर पर बनाए गए यह पिरामिड आज भी ज्यों के त्यों खड़े हैं। आखिर इन विशाल संरचनाओं का निर्माण कैसे किया गया है? प्राचीन समय में बड़े पत्थरों को उठाने के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया होगा? दुनिया के लिए यह सवाल आज भी बने हुए हैं।
पिरामिड का कैसे हुआ निर्माण?
पिरामिडों को लेकर किए जाने वाले तमाम दावों के बाद भी इनके निर्माण को लेकर पहेली पूरी तरह से नहीं सुलक्ष पाई है। अब इसे लेकर एक नया दावा किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि मिस्र के 31 पिरामिड का निर्माण नील नदी के लंबे-चौड़े खंड के साथ किया गया है। इनमें गीजा का 450 फीट ऊंचा ग्रेट पिरामिड भी शामिल है।
शोध की पिछली धारणा को चुनौती
प्रोफेसर इमान घोनिम के नेतृत्व में शोध टीम ने इसे दावे से पिछली धारणा को चुनौती दी है। घोनिम का कहना है कि नील नदी के छिपे भाग को मैप करने में मदद करने के लिए आसपास के ऐतिहासिक मानचित्रों के संयोजन की मदद से जांच की गई कि आखिर पिरामिड का वास्तव में कैसे निर्माण किया गया था।
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि प्राचीन मिस्रवासियों ने 4,700 से 3,700 साल पहले इन पिरामिडों को बनाने के लिए विशाल पत्थर के ब्लॉकों के परिवहन में मदद करने के लिए नील नदी के इस निश्चित हिस्से का इस्तेमाल किया था।
घोनिम की टीम मानती है कि पिरामिडों का मूल निर्माण स्थान दबी नदियां और प्राचीन संरचनाएं थीं। यह प्राचीन मिस्र के पिरामिडों के पास तलहटी में मिलीं।