जुलाना की धरती पर लौटेगा जजपा का जज्बा: सत्ता से बाहर होने के बाद पहली बड़ी रैली

हरियाणा की राजनीति में जींद की धरती हमेशा बदलाव का केंद्र रही है। इतिहास गवाह है कि कई राजनीतिक प्रयोग, नए संगठन और सत्ता तक पहुंचने की कई यात्राएं इसी धरती से शुरू हुईं। सत्ता से दूर जननायक जनता पार्टी (जजपा) पहली बार जुलाना में शक्ति प्रदर्शन करने जा रही है। 7 दिसंबर को होने वाली इस रैली को पार्टी नेतृत्व ऐतिहासिक बता रहा है क्योंकि यही वह धरती है जिसने कभी जजपा को ताकत दी थी और दस विधानसभा सीटों तक पहुंचाया था।

जननायक जनता पार्टी का गठन भी जींद के जज्बे से हुआ था। एक नई सोच, नई दिशा और नई राजनीतिक पारी की शुरुआत के रूप में। गठन के बाद बहुत कम समय में पार्टी ने प्रदेश की राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हुए दस सीटें जीतकर सत्ता में साझेदारी बनाई।

अब सत्ता से बाहर होने के बाद जजपा फिर से उसी जगह लौट रही है जहां से उसकी असली ताकत का उदय हुआ था। यही वजह है कि जुलाना में होने वाली यह रैली सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि पार्टी के राजनीतिक पुनर्जन्म की घोषणा मानी जा रही है। इस रैली में संगठनात्मक ढांचे को मजबूती देने के लिए बड़े बदलावों का ऐलान किया जाएगा।

बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी और आगामी राजनीतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की जाएगी। आयोजन स्थल पर बड़ा पंडाल, मंच और पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है। हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं के पहुंचने की संभावना है। पार्टी की सोशल मीडिया और जमीनी टीमें गांव-गांव जनसंपर्क कर रही हैं ताकि रैली में अधिक से अधिक लोग शामिल हों। जुलाना और आसपास के गांवों में पोस्टर, बैनर और प्रचार सामग्री के जरिए खास माहौल बना हुआ है।

ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दे उठाकर पहचान बनाने की कोशिश
राजनीतिज्ञ इस रैली को हरियाणा की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं। वे कहते हैं कि जजपा ने जिस तरह पहले प्रदेश में युवाओं, किसानों और ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दों को उठाकर अपनी पहचान बनाई थी, अब पार्टी फिर से उसी धार को तेज करने की तैयारी में है। जुलाना की रैली उसी राजनीतिक संदेश को दोहराएगी कि जज्बा जब भी कुछ करता है, बदलाव लेकर आता है।

विपक्षी पार्टियां ने की रणनीती तेज
जजपा का यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब प्रदेश में राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। विपक्षी पार्टियां अपनी रणनीतियां तेज कर चुकी हैं और सत्तारूढ़ दलों में भी नई राजनीतिक गतिविधियां तेज हैं। ऐसे में जजपा की यह रैली न केवल उसके कार्यकर्ताओं को मजबूती देगी बल्कि प्रदेश की राजनीति में उसके आगे के रास्ते को भी स्पष्ट करेगी। कुल मिलाकर, जुलाना में सात दिसंबर को होने वाली रैली जजपा के लिए नई शुरुआत का मंच साबित हो सकती है।

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