तख्तापलट के 1 साल में कितना बदला बांग्लादेश?

बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के चलते पिछले वर्ष आज ही के दिन यानी पांच अगस्त, 2024 को शेख हसीना की अगुआई वाली अवामी लीग सरकार अपदस्थ हो गई थी। तब से हसीना भारत में ही हैं। इस घटना के एक वर्ष बाद भी बांग्लादेश राजनीतिक स्थिरता से बहुत दूर है।

हिंसा का दौर थमा नहीं है। हालात बदतर होते जा रहे हैं। हसीना सरकार के पतन के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार में न केवल राजनीतिक विरोधियों खासतौर पर अवामी नेताओं और अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा बल्कि कट्टरपंथियों को बढ़ावा भी दिया जा रहा है।

गत वर्ष जुलाई-अगस्त में छात्र आंदोलन और उसके बाद हिंसा की घटनाओं में अब तक सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों में हसीना के खिलाफ मुकदमा शुरू किया गया है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इतने खून-खराबे के बावजूद एक ऐसे बांग्लादेश की संभावना बड़ी चुनौती बनी हुई है, जहां उदार लोकतंत्र, राजनीतिक सहिष्णुता और धार्मिक सद्भाव हो।

न्यूयार्क आधारित मानवाधिकार समूह ह्यूमन राइट वाच की एशिया में उप प्रमुख मीना कश्यप ने कहा, ‘एक साल पहले हजारों लोगों ने इस उम्मीद के साथ हसीना सरकार के खिलाफ ¨हसा का सामना किया था कि एक ऐसे लोकतंत्र की स्थापना होगी, जहां अधिकारों का सम्मान किया जाएगा। इस तरह के लोकतंत्र का सपना अब भी अधूरा है।’ हालांकि अंतरिम सरकार इन आरोपों को खारिज करती है।

आंदोलन में शामिल रहे छात्र भी निराश
छात्र आंदोलन के दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस स्टेशनों और सरकारी भवनों को आग के हवाले कर दिया था। प्रधानमंत्री आवास पर भी हमला किया गया था। देश में व्यापक राजनीतिक बदलाव की उम्मीद को लेकर हजारों लोगों के साथ ही 20 वर्षीय अब्दुल रहमान तारीफ नामक छात्र भी अपनी बहन मेहरुनिसा के साथ आंदोलन में शामिल हुआ था।

इसमें उसकी बहन और एक चचेरे भाई की गोली लगने से मौत हो गई थी। तारीफ ने कहा, ‘हम एक ऐसा देश चाहते थे, जहां कोई भेदभाव और अन्याय न हो। हम परिवर्तन चाहते थे लेकिन अब मैं निराश हूं।’

सुधारों पर अब तक सहमति नहीं
हसीना सरकार के पतन के बाद गठित अंतरिम सरकार ने 11 सुधार आयोगों का गठन किया, जिसमें राष्ट्रीय सहमति आयोग भी शामिल है। यह भावी सरकार और चुनाव प्रक्रिया में सुधारों के लिए राजनीतिक दलों के साथ काम कर रहा है।

हालांकि आपसी विवाद के चलते अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। हसीना की अवामी लीग को प्रतिबंधित किया जा चुका है। पार्टी का आरोप है कि पिछले एक साल में उसके दो दर्जन से अधिक समर्थक हिरासत में मारे गए हैं।

878 पत्रकार बने निशाना, 121 लोग मरे
आइएएनएस के अनुसार, दिल्ली आधारित अधिकार समूह राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ने सोमवार को दावा किया कि बांग्लादेश में यूनुस के शासन में 878 पत्रकारों को निशाना बनाया गया। अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के मुकाबले पिछले एक वर्ष में ऐसे मामलों में 230 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

जबकि ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआइबी) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बताया कि अंतरिम सरकार बनने के बाद देश में राजनीतिक हिंसा की 471 घटनाओं में 121 लोग मारे गए और 5189 घायल हुए।

टीआइबी के अनुसार, देश में बीते एक वर्ष के दौरान राजनीतिक हिंसा की 92 प्रतिशत घटनाओं में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी शामिल रही। जबकि कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी पांच प्रतिशत और छात्र आंदोलन से उपजी नेशनल सिटिजन पार्टी महज एक प्रतिशत घटनाओं में शामिल रही।

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