दिल्ली: सेवा बुक में नाम न होने पर भी पारिवारिक पेंशन के हकदार होंगे परिजन
पीठ ने स्पष्ट किया कि भले ही सरकारी कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों के नाम सेवा पुस्तिका में दर्ज न हों, फिर भी वे योग्य होने पर पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन करने वाले परिवारों को राहत दी है। अदालत ने कहा कि पारिवारिक पेंशन पाने के लिए सरकारी कर्मचारी को सेवा पुस्तिका में परिवार के सभी सदस्यों के नाम बताने की ज़रूरत नहीं है। न्यायालय ने सिविल न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा सीपीसी के आदेश (सात) नियम (11) के तहत एक आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की एकल पीठ ने कहा, सीसीएस पेंशन नियमों के अनुसार, पारिवारिक पेंशन मृतक पेंशनभोगी के परिवार के सदस्यों यानी विधवा या विधुर, बच्चों, आश्रित माता-पिता और आश्रित भाई-बहनों को देय होगी।
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग में संगीत शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं और सेवानिवृत्त हो गईं। वह अपनी शादी से पहले सरकारी सेवा में शामिल हुई थीं। उनके पति, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी भी थे, ने मुकदमा दायर कर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने सेवा रिकॉर्ड में अपनी वैवाहिक स्थिति को छिपाया है, जिससे वह पारिवारिक पेंशन के अपने अधिकारों से वंचित हो गए हैं।
पांच आरोपियों की क्षमा याचिका पर 13 जनवरी को होगी सुनवाई
दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन से जुड़े करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में पांच आरोपियों की ओर से दायर आवेदनों पर राउज एवेन्यू कोर्ट 13 जनवरी को सुनवाई करेगी। याचिका में आरोपियों ने मामले में माफी मांगने और सरकारी गवाह बनने की मांग की है।
विशेष न्यायाधीश अश्विनी कुमार सरपाल ने आरोपियों विवेक जयेश थार, मालव मेहता, गोपाल दलवी, राजेन वसंत कुमार ध्रुव और अरविंद कायन की तरफ से दायर क्षमादान और अभियोजन पक्ष का गवाह बनने की मांग वाली याचिकाओं को अगली तारीख के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही, उन्हें अपने दावों को पुष्ट करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने चार जनवरी को पारित आदेश में कहा कि इस आवेदन को आगे के विचार के लिए 13 जनवरी, 2025 को रखा जाए।
न्यायाधीश ने कहा कि केवल यह तथ्य कि अभियोजन पक्ष ने कोई आपत्ति नहीं जताई है, आवेदनों को अनुमति देने के लिए पर्याप्त नहीं है। न्यायाधीश ने आगे स्पष्ट किया कि आरोपियों की ओर से अपने आवेदनों के समर्थन में दिए गए बयान का इस्तेमाल फिलहाल इस याचिका के निपटारे के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा। मामले में एफआईआर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर आधारित थी।
एचएमपीवी का पता सिर्फ लक्षणों के आधार पर लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण आरएसवी और फ्लू जैसी बीमारियों की तरह दिखते हैं। इसका पता लगाने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट कराया जाता है। इसके अलावा, तेजी से नतीजे देने वाले एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट भी मौजूद हैं। भारत में, आईसीएमआर और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) जैसे संस्थान एचएमपीवी और अन्य श्वसन वायरसों की निगरानी करते हैं।