नेपाल की जेलों से फरार कैदियों पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर

नेपाल में भड़की हिंसा के बाद वहां की 14 जेलों से करीब सात हजार कुख्यात कैदी फरार हैं। बुधवार को भारत में घुसपैठ की कोशिश के दौरान सिद्धार्थनगर और महराजगंज सीमा से कुछ कैदियों के पकड़े जाने के बाद दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं। सीमावर्ती इलाके में जांच और निगरानी बढ़ा दी गई है।
ढेबरुआ संवाद के मुताबिक बुधवार की देर शाम एसएसबी 50वीं वाहिनी के जवानों ने नेपाल से भारत में प्रवेश की कोशिश में एक संदिग्ध को पकड़ा। पूछताछ में उसने अपना नाम सिकन्दर चौहान (23) निवासी झंडेनगर, कृष्णानगर (नेपाल) बताया। उसने बताया कि वह नशीली दवाओं की तस्करी के केस में नेपाल के तौलिहवा जिला जेल में तीन साल की सजा काट रहा था। बुधवार को ही वह जेल से फरार होकर घर गया और बीमार मां के लिए दवा खरीदने के लिए भारतीय सीमा में दाखिल हो रहा था। उसके पास से नेपाली नागरिकता का प्रमाण पत्र भी मिला। एसएसबी ने विधिक कार्रवाई करते हुए सिकंदर को नेपाल पुलिस के सुपुर्द कर दिया।
नेपाल के तीन जिले रूपनदेही, कपिलवस्तु और दांग भारतीय सीमा से सटे हैं। रूपनदेही महराजगंज और सिद्धार्थनगर की सीमा से लगता है, कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर और बलरामपुर से तो दांग बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच जनपद के बॉर्डर से सटा हुआ है। इन जिलों की जेलों से फरार कैदियों के भारतीय सीमा में घुसपैठ की आशंका है।
कपिलवस्तु समेत नेपाल की विभिन्न जेलों से भागे 85 कैदी व बंदी पकड़े जा चुके हैं। इन में 72 कपिलवस्तु के और 13 अन्य जिलों की जेलों में बंद थे। बार्डर की फोर्स सुरक्षा एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर रही है ताकि कैदी सीमा पार करने की कोशिश करते हैं तो पकड़ लिए जाएं। जिन बॉर्डर से जहां भागने की आशंका है, वहां चौकसी बढ़ा दी गई है। – रीपेंद्र कुमार सिंह, पुलिस प्रवक्ता, कपिलवस्तु
बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एसएसबी और पुलिस टीम के अलावा पीएसी भी लगा दी गई है। साथ ही बॉर्डर की पल-पल की गतिविधियों की जानकारी ली जा रही है। बॉर्डर पर समन्वय बैठक भी की गई है। नेपाल की जेल से भागे कैदियों को एसएसबी की ओर से पकड़कर आवश्यक कार्रवाई के बाद नेपाल को सौंपा गया है।