पंचायत चुनाव: नामांकन की तारीख बढ़ाने की मांग…

पंजाब में पंचायत चुनाव के लिए 27 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस दौरान बीच में शनिवार व रविवार की दो छुट्टियां आ गईं। इसके बाद 2 और 3 अक्तूबर की फिर से छुट्टी आ गई। यही कारण है कि उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने के लिए समय नहीं मिला है।

शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर ने राज्य चुनाव आयोग से मांग की है कि पंचायत चुनाव के लिए नामांकन भरने की तारीख को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। सुधार लहर के मुख्य प्रवक्ता चरणजीत सिंह बराड़ ने कहा कि 27 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई थी।

इस दौरान बीच में शनिवार व रविवार की दो छुट्टियां आ गईं। इसके बाद 2 और 3 अक्तूबर की फिर से छुट्टी आ गई। यही कारण है कि उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने के लिए समय नहीं मिला है। बराड़ ने बताया कि अभी तक सरपंच पद के लिए 784 लोगों ने नामांकन भरे हैं, जबकि 1446 मेंबर पंचायतों के नामांकन हुए हैं।

13,237 पंचायतों के लिए यह चुनाव है। हर पंचायत के लिए करीब 5 पंच चुने हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर एक मिनट में छह नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे, तभी जाकर सभी उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल हो पाएंगे, क्योंकि 4 अक्तूबर को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन है। यही कारण है कि नामांकन की तारीख को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

एनओसी या चूल्हा टैक्स न मिलने के आधार पर नामांकन खारिज न किया जाए
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने राज्य चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि पंचायत चुनाव में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) या चूल्हा टैक्स न मिलने के आधार पर नामांकन पत्र खारिज नहीं किया जाए। राज्य चुनाव आयोग को लिखे पत्र में वरिष्ठ अकाली नेता और पूर्व मंत्री डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि आयुक्त राज कमल चौधरी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे, लेकिन उनका पालन नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने आयोग से सभी रिटर्निंग अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया कि यदि वे एनओसी न मिलने या चूल्हा टैक्स का भुगतान न करने के आधार पर किसी नामांकन को खारिज करना चाहते हैं तो उसे जांच के लिए आयोग को भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिलहाल रिटर्निंग अधिकारी अंतिम समय में नामांकन खारिज करने के मकसद से जानबूझकर नामांकन पर फैसला लेने में देरी कर रहे हैं, ताकि आवेदकों के पास चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद उच्च न्यायालय में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प न बचे।

डाॅ. चीमा ने कहा कि चूल्हा टैक्स के रूप में प्रति वर्ष सात रुपये का सांकेतिक भुगतान उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने के साथ-साथ विपक्ष के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने के लिए किया जा रहा है। 2018 में भी सरपंच पद के लिए 49 हजार नामांकनों में से 21 हजार नामांकन पत्र जांच के समय रद्द कर दिए गए थे। पंचों के नामांकन पत्रों के मामले में 1.6 लाख लोगों ने नामांकन पत्र भरे थे, जांच के बाद केवल एक लाख ही मैदान में रह गए थे।

शिअद नेता ने कहा कि नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया की आयोग द्वारा वीडियोग्राफी की जानी चाहिए और वरिष्ठ अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी के लिए ऑब्जर्वर नियुक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त शिकायतों को भी आगे बढ़ाया।

पंचायत चुनाव में एनओसी नहीं देने पर पूर्व मंत्री ने की आयुक्त से मुलाकात
पंचायत चुनाव को लेकर शुक्रवार दोपहर तीन बजे तक नामांकन स्वीकार किए जाएंगे। सरकार ने एनओसी प्रक्रिया में बेशक प्रत्याशी के एफिडेविट लिए जाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, इसके बावजूद सरपंच और पंच पद के लिए मैदान में उतरे प्रत्याशियों को बीडीपीओ की ओर से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं।

इसे लेकर पूर्व मंत्री सोम प्रकाश ने बुधवार को राज्य चुनाव आयुक्त राज कमल चौधरी से मुलाकात कर एनओसी की प्रक्रिया को आसान बनाने की मांग रखी है। पूर्व मंत्री सोम प्रकाश ने आयुक्त के समक्ष वार्डबंदी, रिजर्वेशन और मतदाता सूची में खामियों को लेकर पत्र सौंपा और प्रदेश की मौजूदा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत चुनाव में कई जगहों पर प्रत्याशियों को जानबूझकर एनओसी जारी नहीं की जा रही है, जिससे नामांकन रद्द हो जाए। पूर्व मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार इस वक्त पंचायती चुनाव एकतरफा करवाने की कोशिश कर रही है।

पूर्व मंत्री ने गुरदासपुर के हरदोवाल कलां पंचायत के सरपंच पद के लिए दो करोड़ रुपये बोली लगाए जाने का मामला भी उठाया। यह मामला हाईकोर्ट भी पहुंच चुका है। इस पर राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस मामले में संबंधित डीसी को निर्देश जारी कर आरोपियों पर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के नियमों के तहत कार्रवाई के लिए लिखा गया है। बोली लगाकर सर्वसम्मति से बनाए गए सरपंच और पंचों के नामांकन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इसे लेकर राज्य चुनाव आयोग ने प्रदेश के सभी डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। जो पंचायतें बिना बोली या किसी आर्थिक लाभ के सर्वसम्मति से ग्राम पंचायत बनाती हैं, केवल उन्हें ही स्वीकार किया जाएगा।

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