पंजाब के दूषित पानी से प्रभावित 31 फीसदी क्षेत्रों में नहीं साफ पानी की वैकल्पिक व्यवस्था

प्रदेश के फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, फिरोजपुर, मोगा, पटियाला और रोपड़ के पानी में आयरन और नाइट्रेट समेत भारी धातु अधिक मात्रा में पाए गए हैं। इसी तरह बठिंडा, फरीदकोट, मोगा, मुक्तसर, फिरोजपुर और मानसा में यूरेनियम की अधिक मात्रा सामने आई है।
पंजाब के दूषित पानी से प्रभावित 31.25 फीसदी एरिया में पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके चलते संसदीय स्थायी समिति ने चिंता जताई है। साथ ही प्राथमिकता के आधार पर स्वच्छ जल की व्यवस्था करने की सिफारिश की है। तीन माह के अंदर इस बारे में रिपोर्ट भी मांगी है।
सूबे के 9 जिलों के भूजल में यूरेनियम की मात्रा अधिक है, जो बीमारियों को न्योता दे रहा है। पंजाब में कैंसर के केस पहले ही बढ़ते जा रहे हैं। मालवा क्षेत्र इससे बुरी तरह से प्रभावित है, लेकिन अब बाकी क्षेत्रों में कैंसर के केसों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है।
संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 9 जिलों के 32 स्थानों में यूरेनियम की मात्रा अधिक पाई गई है, लेकिन इनमें से 22 स्थानों पर पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। अभी भी 10 स्थानों पर स्वच्छ जल की व्यवस्था नहीं की जा सकी है, जो चिंता का विषय है। साफ है कि लोग खुद ही स्वच्छ जल की वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं या फिर अधिकतर लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं।
प्रदेश के फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, फिरोजपुर, मोगा, पटियाला और रोपड़ के पानी में आयरन और नाइट्रेट समेत भारी धातु अधिक मात्रा में पाए गए हैं। इसी तरह बठिंडा, फरीदकोट, मोगा, मुक्तसर, फिरोजपुर और मानसा में यूरेनियम की अधिक मात्रा सामने आई है। कैंसर के केस बढ़ने के लिए भी इसे प्रमुख कारण माना जाता है। यह मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है और कोर्ट ने यूरेनियम का पता लगाने के लिए मालवा के अलावा पूरे पंजाब में भूजल की जांच के आदेश दिए थे। इसी तरह 17 जिले पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से बुरी तरह प्रभावित हैं, जो हड्डियों और दांतों को नुकसान पहुंचा जा रहा है।
गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहा दूषित पानी
रिपोर्ट के अनुसार दूषित पानी प्रदेश में गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहा है। यूरेनियम जैसे तत्वों की मौजूदगी लंबे समय तक गुर्दे, लीवर और हड्डियों में जाकर गंभीर स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा कर सकती है। समिति ने प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर दीर्घकालिक समाधानों के लिए काम करने पर जोर दिया है। इसके अलावा वैकल्पिक व्यवस्था के लिए सामुदायिक जल शोधन प्लांट और घरों में प्यूरिफायर लगाने की सिफारिश की है।
34 लोकेशनों का पानी पाया गया था दूषित
हाल ही में सरकार की तरफ से 337 लोकेशनों से दूषित पानी का पता लगाने के लिए सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 34 का पानी दूषित पाया गया था। इनमें ट्यूबवेल समेत अन्य जल स्रोत शामिल हैं। सभी जगहों पर पीने योग्य पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। घातक धातु लोगों की सेहत के साथ ही फसलों पर भी प्रभाव डाल रहे हैं, जिसके चलते राज्य सरकार 16 जिलों में फसलों के सैंपल लेने जा रही है। कृषि खाद्य उत्पादों में यूरेनियम समेत अन्य भारी धातुओं का पता लगाने के लिए इन सैंपलों की जांच की जाएगी।