पंजाब में माहिर डॉक्टरों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में जाने को तैयार नहीं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 336 डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि स्वीकृत सिर्फ 298 पद हैं। इन केंद्रों पर सिर्फ 55 विशेषज्ञ डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। इस तरह 281 डॉक्टरों की कमी है। वर्ष 2005 में स्थिति बेहतर थी। तब 226 विशेषज्ञ डॉक्टर काम कर रहे थे, लेकिन वर्ष 2023 में इस स्थिति ने और भी गंभीर रूप धारण कर लिया।
पंजाब के अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है, जिससे प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में राज्य सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 72 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टर कम हैं। इसी तरह नर्सिंग स्टाफ भी पूरा नहीं है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की तरफ से लोकसभा में इसे पेश किया गया है।
पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों को तैनात करने की है। डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग पहले तो सभी स्वीकृत पदों पर भर्ती करने में सफल नहीं हो पा रहा है। विभाग जो भर्ती कर भी रहा है, उसमें से भी विशेषज्ञ डॉक्टर जल्दी ही नौकरी छोड़ देते हैं। मानसून सत्र के दौरान पंजाब विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा था। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा था कि उनके सामने यह बड़ी समस्या है, जिसे दूर करने के लिए वह काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 336 डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि स्वीकृत सिर्फ 298 पद हैं। इन केंद्रों पर सिर्फ 55 विशेषज्ञ डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। इस तरह 281 डॉक्टरों की कमी है। वर्ष 2005 में स्थिति बेहतर थी। तब 226 विशेषज्ञ डॉक्टर काम कर रहे थे, लेकिन वर्ष 2023 में इस स्थिति ने और भी गंभीर रूप धारण कर लिया।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण बड़े अस्पतालों में मरीजों का बोझ बढ़ता जा रहा है। खासकर चंडीगढ़ पीजीआई, जीएमएसएच-16, जीएमसीएच-32 पर इसका प्रभाव साफ देखा जा सकता है। चंडीगढ़ प्रशासन की सलाहकार परिषद में भी इस बोझ को कम करने के लिए कई बार सिफारिश की चुकी है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी यही हाल
इसी तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की भी यही स्थिति है और यहां भी डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं। इन केंद्रों में डॉक्टरों के स्वीकृत पद 586 हैं, जबकि सिर्फ 411 डॉक्टर काम कर रहे हैं। 175 पद खाली पड़े हैं। विभाग के अनुसार डॉक्टरों की ये संख्या पर्याप्त है, लेकिन फिर भी मंजूर सभी पदों पर भर्ती न होने के चलते स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही है।
नर्सिंग स्टाफ की कमी से भी जूझ रहे केंद्र
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के साथ ही नर्सिंग स्टाफ की कमी से भी स्वास्थ्य केंद्र जूझ रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दोनों में ही स्वीकृत पदों के मुकाबले स्टाफ की कमी है। प्रदेश में नर्सिंग स्टाफ के 2018 स्वीकृत पद हैं, लेकिन सिर्फ 1114 नर्सिंग स्टाफ ही तैनात है। रिपोर्ट के अनुसार 904 नर्सिंग स्टाफ के पद खाली पड़े हैं।
पंजाब में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। यह समस्या तब तक हल नहीं हो सकती है, जब तक सरकार की तरफ से डॉक्टरों को पदोन्नति व उचित स्टाफ प्रदान नहीं किया जाता है।
राज्य सरकार ने हाल ही डॉक्टरों की भर्ती की थी और उनको नियुक्ति पत्र भी सौंपे थे, लेकिन इसमें एक तिहाई डॉक्टरों ने अभी तक ड्यूटी जॉइन नहीं की है। भर्ती के साथ अन्य समस्याओं की तरफ ध्यान देने की भी जरूरत है। -अखिल सरीन, प्रधान, पंजाब सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन