पशुपालन ने मजबूत की यूपी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पशुधन क्षेत्र का योगदान 1.67 लाख करोड़

यूपी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में पशुधन क्षेत्र ने 1.67 लाख करोड़ का योगदान दिया है तो मछली पालन का योगदान 19 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है।

जिला घरेलू उत्पाद अनुमान 2023-24 के अनुसार प्रदेश में पशुपालन, मत्स्य और वानिकी क्षेत्रों में खासी वृद्धि हुई है। ये संकेत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती और आजीविका के साधन बढ़ने के सूचक हैं। इसके अनुसार प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 25.63 लाख करोड़ रहा। इसमें पशुधन क्षेत्र का योगदान 1.67 लाख करोड़ रहा है जो कुल जीएसडीपी का 7.1 फीसदी है। वन क्षेत्र का योगदान गत वर्ष के सापेक्ष 3.9% बढ़कर 25859 करोड़ और मछली पालन का 19071 करोड़ रुपये रहा।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पशुधन में योगदान देने वाले शीर्ष पांच जिले बुलंदशहर (8.75 हजार करोड़), मेरठ (6.5 हजार करोड़), अलीगढ़ (5.68 हजार करोड़), आगरा (5.56 हजार करोड़) और सहारनपुर (4.68 हजार करोड़) रहे। सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में सर्वाधिक वृद्धि दर वाले शीर्ष पांच जिलों में महोबा, झांसी, अंबेडकरनगर, अयोध्या और ललितपुर शामिल हैं।

प्रदेश में वर्ष 2023-24 में 7.01% की वृद्धि के साथ 388 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन हुआ। दुग्ध उत्पादन करने वाले शीर्ष पांच जिलों में बुलंदशहर, मेरठ, आगरा, अलीगढ़ और आजमगढ़ शामिल हैं। अंडा उत्पादन भी बढ़ा है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश में अंडा उत्पादन 12.80 फीसदी से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 29.80 फीसदी हो गया।

मत्स्य उत्पादन वाले टॉप-5 जिलों में बहराइच भी
प्रदेश में मछली उत्पादन भी बढ़ा है। वर्ष 2023-24 में यह 26.4 फीसदी बढ़कर 11.56 लाख मीट्रिक टन रहा। मछली पालन क्षेत्र का सकल राज्य घरेलू उत्पाद में योगदान 19,071 करोड़ है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान देने वाले शीर्ष पांच जिले झांसी, बहराइच, हरदोई, खीरी और महोबा शामिल हैं। वानिकी उपखंड में शीर्ष पांच जिलों में सोनभद्र, खीरी, मिर्जापुर, सहारनपुर और पीलीभीत शामिल हैं। ये जिले प्रदेश के कुल वानिकी के जीवीए में 26 फीसदी का योगदान दे रहे हैं।

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