पिता इंस्पेक्टर, चाचा सिपाही अब बेटा बनेगा IPS, सृजित ने 35 लाख का पैकेज छोड़ा

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा 2024 का अंतिम परिणाम घोषित किया। इसमें अभिनव शर्मा ने 130वीं, भमोरा के रुद्रपुर की सृष्टि ने 145वीं, फरीदपुर के आयुष जायसवाल ने 178वीं, अंजलि ने 702वीं और तनुज कुमार ने 996वीं रैंक हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है। इन सभी का कहना है कि इस सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई है।

बरेली की कल्पना रावत को 76वीं रैंक
बरेली के बीसलपुर के मोहल्ला पटेल नगर निवासी आईएएस सूर्य प्रताप सिंह की पत्नी कल्पना रावत नै यूपीएससी में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने यह सफलता तीसरे प्रचास में हासिल की है। उनकी 76वीं रैंक आई है। कल्पना रावत हरियाणा के जिला सोनीपत के गांव जाजल की रहने वाली हैं। उनका विवाह छह दिसंबर 2024 को सूर्य प्रताप सिंह के साथ हुआ था। सूर्य प्रताप सिंह आजकल बिहार के जिला रोहतास सासाराम की तहसील देहरी ओनसोन में बतौर प्रशिक्षु एसडीएम तैनात हैं। सूर्य प्रताप वर्ष 2021 के आईएएस अधिकारी हैं।

कल्पना ने अपने पति के साथ रहकर ही परीक्षा की तैयारी की थी। इसमें सूर्य प्रताप सिंह ने पत्नी का काफी सहयोग किया। उन्होंने आईएएस की परीक्षा वर्ष 2024 में दी थी। मार्च 2025 में उनका साक्षात्कार हुआ था। मंगलवार को परीक्षाफल आ गया है। कल्पना ने 76वीं रैंक हासिल की है। कल्पना ने पढ़ई दिल्ली एनसीआर में रहकर की थी। कल्पना की सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। कल्पना के ससुर बाबूराम गंगवार ने बहू की सफलता पर मिठाई बांटी। बता दें कि वर्तमान में कल्पना का ससुराल पक्ष बरेली में रुहेलखंड विवि के सामने नौलकंठ कॉलोनी में रहता है। चयन के बाद बुधवार को पहली बार कल्पना पति के साथ बरेली पहुंचेंगी। कल्पना के पिता किशन कुमार रावत ठेकेदार हैं। मां अनिल देवी घरेलू महिला हैं। भाई सुमित सिंह दिल्ली हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं।

पिता इंस्पेक्टर ,चाचा कांस्टेबल अब बेटा बनेगा आईपीएस
यूपीएससी परीक्षा में साउथ सिटी निवासी अभिनव शर्मा ने अपने चौथे प्रयास में 130 ऑल इंडिया रैंक हासिल की है। मूल रूप से बदायूं के दातागंज के गांव पढ़ेली के रहने वाले अभिनव बरेली के बदायूं रोड स्थित साउथ सिटी में माता शालिनी शर्मा के साथ रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। उनके पिता रमेश चंद्र शर्मा देहली गेट, मेरठ में प्रभारी निरीक्षक हैं। इसके साथ ही चाचा अवधेश कांस्टेबल हैं। अभिनव ने बताया कि अपनी पिता की पोस्टिंग के कारण प्रारंभिक शिक्षा मुरादाबाद से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आईआईटी पटना से सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक की। अभिनव ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं हुए और इसके बाद उन्होंने प्रतियोगिता की तैयारी करना शुरू की और 2021 में वह प्री क्लियर नहीं कर सके। उन्होंने दोबारा प्रयास कराना शुरू किया और 2022 में सुधार करते हुए साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन सफल नहीं हो सके। 2023 में सफल होकर इंडियन पोस्टल सर्विस में जगह बनाई, लेकिन इससे भी उनका मन नहीं माना। उन्होंने आईपीएस बनने के अपने सपने को सच करने के लिए चौथी बार प्रयास किया और 26 साल की उम्र में ही सफलता को अपने कदमों में ला रखा। अपनी तैयारी के दौरान उन्होंने वैकल्पिक पेपर की तैयारी ऑनलाइन की। आगे की तैयारी उन्होंने बिना कोचिंग की।

सैमसंग की नौकरी छोड़ी, मेहनत से बनाई सिविल सर्विसेज में जगह
फरीदपुर निवासी आयुष जायसवाल (25) ने नोएडा में सैमसंग में 24 लाख सालाना पैकेज की नौकरी को छोडकर सिविल परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 178वीं रैंक हासिल की है। फरीदपुर के मोहल्ला कानून गोयान के रहने वाले आयुष के पिता अमन जायसवाल कपड़ा व्यापारी है। अमन ने बताया कि पिता उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में देखना चाहते थे। आयुष ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई बरेली से ही पूरी की है। पिता ने आयुष का दाखिला जयपुर के काॅलेज में कंप्यूटर साइंस से बीटेक कराने के लिए कराया। इसके बाद 2021 में पढ़ाई पूरी करने के बाद ही आयुष का चयन सैमसंग कंपनी में 24 लाख के सालाना पैकेज के साथ नोएड़ा में हुआ। एक साल नौकरी करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड दी। इसके बाद वह दिल्ली में ही सेल्फ स्टडी करते हुए तैयारी शुरू कर दी और उन्होंने पहले प्रयास में 707वीं रैंक हासिल कर आईआरएस के पद पर चयनित हो गए। ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने 10 माह की छुट्टी लेकर दोबारा से प्रयास कर अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा करने के लिए परिजनों से बात की और करीब एक साल बाद ही उन्होंने अब 178वीं रैंक हासिल करने में सफलता पाई है। इसके अलावा उनका अभ्युदय कोचिंग भी पंजीकरण था।

दो बार के प्रयास में रही असफल, तीसरे में मिली सफलता
सदर बाजार कैंट की अंजलि ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 702वीं रैंक हासिल की है। अंजलि की सफलता से पूरा परिवार बहुत खुश है। खास बात यह है कि विज्ञान विषय से पोस्ट ग्रेजुएट अंजलि ने दर्शनशास्त्र विषय से परीक्षा पास की है। अंजलि के पिता ओमप्रकाश रेवेन्यू डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं। अंजलि अपनी सफलता का श्रेय परिवार और दोस्तों को देती हैं। उन्होंने बताया कि यह उनका तीसरा प्रयास था। इसके पहले दो प्रयास में वह प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सकी थीं। लेकिन इससे वह निराश नहीं हुई बल्कि और मेहनत, लगन से परीक्षा की तैयारी में जुटी रहीं। तीसरे प्रयास में उनको सफलता मिली और 702 रैंक आई है।

2021 में नौकरी न पाने से थे परेशान, इस बार मारी बाजी
अशरफ खां छावनी में रहने वाले तनुज कुमार ने 996वीं रैंक हासिल कर सफलता प्राप्त की है। तनुज ने 2021 में एक बार परीक्षा में सफल होकर 675वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन मेडिकल ग्राउंड पर उन्हें सर्विस अलॉट नहीं हो पाई थी। तनुज वनमंत्री डॉ. अरुण कुमार के भी भतीजे है। उन्होंने बताया कि परीक्षा में सफल न होने के बाद भी नौकरी न मिलने से परेशान रहे। इसके बाद अधिकारी बनने की चाहत और सपने के कारण उन्होंने दोबारा प्रयास शुरू किया। इसके लिए उन्होंने लगातार लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करना शुरू किया। उन्होंने किताबों तक ही खुद को सीमित कर लिया। उन्होंने बताया कि मंगलवार को परिणाम में उत्तीर्ण होने पर पिछले सभी त्यागों को खुशी में बदल दिया। उनके पिता दिवंगत तरुण कुमार सुशीला गिरीश स्कूल का संचालन करते थे। वहीं अब माता प्रीति सक्सेना उसी विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं।

35 लाख के पैकेज से थे ना खुश, अब बने अधिकारी
मूलरूप से शाहजहांपुर के रहने वाले सृजित कुमार (21) अपने सपने को पूरा करने के लिए 35 लाख की नौकरी को छोड़कर तैयारी की और उसका फल उन्हें परीक्षा में 277वीं रैंक के रूप में मिला। सृजित के पिता सुभाष चंद्र गंगवार मुरादाबाद में एसपी यातायात के पद पर तैनात है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई शाहजहांपुर से पूरी की है। 12वीं के बाद उन्होंने कानपुर आईआईटी से कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया। इस बीच पिता के साथ दो साल बरेली में बिताए। 2021 में पढ़ाई खत्म करते ही बंगलूरू की एक कंपनी में 35 लाख के पैकेज पर नौकरी की चयन किया गया। बंगलूरू में 2024 तक नौकरी करने के बाद भी मन संतुष्ट रहा इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी करने का फैसला लिया और नौकरी छोडकर घर वापस लौट आए। पहले ही प्रयास में 277 वीं रैंक हासिल कर नाम रोशन कर दिया।

किसान की बेटी सृष्टि बनेगी आईएएस
किसान की बेटी भी क्या आईएएस बन सकती है? यह केवल एक सवाल ही नहीं रहा। बरेली जिले के किसान पिता ओमकार सिंह की बेटी सृष्टि के लिए यह एक चुनौती थी। छह साल की कड़ी मेहनत के बाद उसने इस चुनौती को यूपीएससी की परीक्षा में अपनी सफलता से पूरा किया है। मंगलवार को आए यूपीएससी के परिणाम में भमौरा के रूद्रपुर गांव की इस बेटी ने 145वीं रैंक हासिल की। सृष्टि का कहना है कि उसकी आकांक्षा थी कि वह आईएएस बने। करीब 27 साल की सृष्टि की इस आकांक्षा को पूरा करने में उसके माता-पिता का पूरा सहयोग रहा।

सृष्टि का कहना है कि इस रैंक के साथ आईएएस मिलने की पूरी उम्मीद है। बताया कि बिना कोचिंग उन्होंने अपनी तैयारी यूपीएससी परीक्षा के लिए की। इसके लिए केवल यूट्यूब के वीडियो ही सहारा बने। उनके आईएएस में चयन की खबर जैसे ही गांव पहुंची। पूरा परिवार और गांव खुशियां मनाने लगा। पिता ने खुद बेटी को मिठाई खिलाकर बधाई दी। सृष्टि ने बताया कि उनके पिता गांव में ही खेती किसानी कर घर चलाते है। शुरुआत से ही घर की खराब माली हालत देख परिवार के लिए कुछ बड़ा करने की चाह थी। 12 वीं पास करने के बाद एक दिन उनके उनकी सहेली ने बोला था कि मेरा भाई एक दिन आईएएस बनकर गांव आएगा। इस बात ने सृष्टि को आईएएस के रूप में देखने के लिए प्रेरणा दी।

सृष्टि ने बताया कि 2018 में बीएससी की पढ़ाई पूरी की। अगले ही साल से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2019 में अपना पहला प्रयास किया, लेकिन इसमें वह विफल रहीं। इसके बाद एमएससी की पढ़ाई के साथ सिविल सर्विस की तैयारी जारी रखी। 2023 में दोबारा से परीक्षा में बैठी। इस बार फिर से निराशा ही हाथ लगी। तीसरे प्रयास में सृष्टि को आईएएस में चयनित होने में सफलता मिली।

इंटरनेट ने की तैयारी में मदद
सृष्टि का मानना है कि इंटरनेट ने उनकी तैयारी को पूरा कराने में खूब मदद की। जहां यूट्यूब वीडियो से उनको विषय की समझ अच्छी करने में मदद मिली। वहीं अलग-अलग टॉपिक पर विश्लेषण करना भी बेहतर हुआ। ऑनलाइन मौजूद दूसरे कंटेंट ने भी काफी मदद की। इंटरव्यू में मदद के लिए भी इंटरनेट से उन्होंने मदद ली।

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