प्रदोष व्रत की पूजा में जरूर करें ये स्तुति, हर संकट होगा दूर

पुराणों में भी प्रदोष व्रत का महात्म्य बताया गया है। ऐसा माना गया है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत आज यानी बुधवार 20 अगस्त को किया जा रहा है। जब प्रदोष के दिन बुधवार पड़ता है तो इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
प्रदोष का व्रत प्रत्येक माह में आने वाली दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को स्त्री व पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। ऐसे में यदि आप इस दिन पर नटराज स्तुति का पाठ करते हैं, तो इससे आपको महादेव की कृपा की प्राप्ति हो सकती है। चलिए पढ़ते हैं नटराज स्तुति और शिव जी की पूजा का मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 58 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 21 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत (budh Pradosh Vrat 2025) बुधवार 20 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन शिव जी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –
प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त – शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 9 बजकर 7 मिनट तक
नटराज स्तुति (Natraj Stuti)
सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः ।
हे आद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः ॥
गंभीर नाद मृदंगना
धबके उरे ब्रह्माडना ।
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः ॥
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा
चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः ॥
तवशक्ति वामांगे स्थिता
हे चंद्रिका अपराजिता ।
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमोः ॥
माना जाता है कि अगर आप प्रदोष व्रत की पूजा में नजराज स्तुति का पाठ करते हैं, तो इससे आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इतना ही नहीं, इस स्तुति के पाठ से आपको ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी राहत देखने को मिल सकती है।
शिव जी के मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते रूद्राय
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥