प्रदोष व्रत पर करें ये एक काम, वैवाहिक जीवन में बना रहेगा प्यार

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव-शक्ति की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों का अंत होता है। इस बार यह व्रत (Pradosh Vrat 2025) 27 मार्च यानी आज के दिन रखा जाएगा तो आइए इस दिन को और भी पावन बनाने के लिए मां पार्वती को प्रसन्न करते हैं।
प्रदोष व्रत का दिन अपने आप में बहुत कल्याणकारी माना जाता है। यह हर महीने में दो बार आता है। इस तिथि पर साधक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। इस दिन प्रदोष काल की पूजा का महत्व है, जो भक्त इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा से मनचाहा वरदान मिलता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत 27 मार्च (Pradosh Vrat 2025 Date) यानी आज के दिन रखा जा रहा है। ऐसे में सुबह स्नान के बाद भगवान शिव का ध्यान करें। उन्हें गंगाजल, फल, फूल, पंचामृत और बिल्व पत्र अर्पित करें। इसके साथ ही माता पार्वती को शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
इसके बाद गौरी चालीसा का पाठ और शिव जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें। अंत में कपूर और लौंग से आरती करें। पूजा का समापन शंखनाद से करें। ऐसा करने से विवाह से जुड़ी सभी मुश्किलें दूर होंगी, तो चलिए पढ़ते हैं।
।।गौरी चालीसा।। (Gauri Chalisa Ka Path)
”चौपाई”
मन मंदिर मेरे आन बसो,
आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी,
दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती,
पर श्रद्धा है अपार,
प्रणाम मेरा स्वीकारिये,
हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता,
आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरणागत न कभी घबराता,
गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता,
जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ,
मेरे सकल क्लेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना,
सत्कर्मो से कभी हटूं ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,
सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,
मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहूं,
ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी,
फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,
थोडे़ में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना,
भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना,
कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते,
सुख सुविधा को वर मैं पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया,
बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा,
आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,
निराश मन में आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले,
दया दृष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान,
जग में पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती,
उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया दृष्टि जब माँ डाले,
भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय,
शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे,
दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सात गुण की हो दाता आप,
हर इक मन की ज्ञाता आप,
काटो हमरे सकल क्लेश,
निरोग रहे परिवार हमेशा।
दुख संताप मिटा देना माँ,
मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय,
हठ जय माँ सब विपदाएं।
जिस पे दयाल हो माता आप,
उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,
श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ,
ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता,
जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,
नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम,
सब धामो को मां प्राणम।
आपकी दया का है ना पार,
तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण में आता,
मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो,
असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे,
सुखी बसे मेरा परिवार।
आपकी महिमा अति निराली,
भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनोकामना पुरन करती,
मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढें सुनाया,
सुयोग वर् वरदान में पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ,
सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ,
आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये,
हो जाए उद्धार।
हीं हीं हीं शरण में,
दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये,
पाऊँ मान सम्मान।