बांधवगढ़ स्थित कबीर चबूतरा और गुफा में पहुंचे साढ़े आठ हजार श्रद्धालु
बांधवगढ़ स्थित कबीर चबूतरा और गुफा में साढ़े आठ हजार श्रद्धालु पहुंचे। बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बियावान जंगल में बाघों की दहाड़ के बीच कई प्रदेशों से आये लगभग साढ़े आठ हजार कबीर पंथी कबीर चबूतरा पहुंचे।
उमरिया जिले के विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के ताला कोर ज़ोन स्थित कबीर चौरा में हर वर्ष संत कबीरदास के अनुयायी कई प्रदेशों से यहां अपने संत के चबूतरे पर नमन करने आते हैं। इस वर्ष भी हर वर्षों की भांति दूर-दूर से लोग आए और रात कबीर आश्रम में रुक कर पूजा अर्चना किये और सुबह होते ही बांधवगढ़ के किले की ओर प्रस्थान कर दिए।
आपको बता दें कि संत कबीर का जन्म साल 1398 में वाराणसी में हुआ था और उनकी मृत्यु सन 1494 में मगहर में हुई थी। इस बीच वो साधना के लिए बांधवगढ़ में घने वन के बीच कोर जोन में पहाड़ के ऊपर आये और यहीं वो अपनी साधना किए, जिस गुफा वो साधना किये उसी के बाहर उनके भक्तों ने एक चबूतरा बनवा दिया, जिसको कबीर चबूतरा कहा जाता है। हर वर्ष देश के कोने-कोने से कबीरदास के अनुयायी यहां आते हैं और कबीर गुफा एवं कबीर चबूतरे का दर्शन करते हैं एवं विशाल भंडारे का भी आयोजन करते हैं।
इनका कार्यक्रम 2 से 3 दिन चलता है। लेकिन ऊपर किले पर जाने की अनुमति एक दिन ही रहती है। आज सुबह 8 बजे से 11 बजे तक भीतर जाने की अनुमति दी गई थी, जिसमें लगभग साढ़े आठ हजार श्रद्धालु पार्क के भीतर भारी सुरक्षा के बीच प्रवेश किये हैं और दिन में चार बजे सभी लोग वापस बाहर आ जाएंगे। छत्तीसगढ़ के दामाखेड़ा से कबीर गद्दी के उत्तराधिकारी प्रकाश मुनि नाम साहेब यहां आकर अपने श्री वचनों से सभी को संबोधित किये और चौका आरती में शामिल हुए।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि वन विभाग के लगभग 200 कर्मचारी, अधिकारी रास्ते-रास्ते लगे हैं। पुलिस विभाग के 100 कर्मचारी, अधिकारी लगे हैं राजस्व के अधिकारी भी सेवा दे रहे हैं। इन सबके साथ चार हाथी लगातार गश्ती कर रहे हैं। रास्ते में पीने के पानी एवं टॉयलेट की व्यवस्था भी की गई है। साढ़े आठ हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए किले पर गए और सभी सकुशल वापस आ गए।
गौरतलब है कि बांधवगढ़ के किले में सेन समाज की भी आस्था जुड़ी है। यहां सेन जी महाराज की जयंती के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें हर वर्ष हजारों लोग शामिल होते हैं और पार्क प्रबंधन के साथ पुलिस और राजस्व के अधिकारी भी सेवा देते हैं। साथ ही सारी व्यवस्था करते हैं।