भारत के अटॉर्नी जनरल बनाए गए आर वेंकटरमणी

वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमणि को शुक्रवार को दोबारा भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्हें अगले दो वर्षों के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। नई नियुक्ति 1 अक्तूबर से प्रभावी होगी। उनका मौजूदा तीन वर्षीय कार्यकाल 30 सितंबर को पूरा हो रहा है। वेंकटरमणी ने 30 सितंबर 2022 को वरिष्ठ न्यायविद केके वेणुगोपाल का स्थान लिया था और अगले ही दिन औपचारिक रूप से पदभार संभाला था।
कौन हैं आर वेंकटरमणि?
13 अप्रैल 1950 को पांडिचेरी में जन्मे वेंकटरमणि ने जुलाई 1977 में तमिलनाडु बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित हुए थे। वेंकटरमणि 1979 में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव के कक्ष में शामिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने 1982 में सुप्रीम कोर्ट में एक स्वतंत्र अभ्यास की स्थापना की। फिर सुप्रीम कोर्ट में उन्हें 1997 में वरिष्ठ अधिवक्ता का पद प्राप्त हुआ। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आर वेंकटरमणि को साल 2010 में भारत के विधि आयोग के सदस्य के रूप में और फिर 2013 में एक और कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था। उन्होंने कानून की कई शाखाओं में प्रमुख रूप से संवैधानिक कानून, मध्यस्था कानून, अप्रत्यक्ष करों के कानून, कॉरपोरेट और प्रतिभूति कानून में अभ्यास किया। बता दें कि आर वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कई राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों और केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का प्रतिनिधित्व किया है।
देश के नए अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि साल 2004 से 2010 के बीच सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में भारत सरकार के कई विभागों के लिए एक विशेष वरिष्ठ वकील भी रहे हैं और अदालत के कर्मचारियों की सेवा शर्तों से संबंधित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के वकील के रूप में भी कार्य किया। आर वेंकटरमणि 1988 से अकादमिक गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।
आर वेंकटरमणि ने आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिसीवर के रूप में कार्य किया था।
वेंकटरमणि ने लगभग 42 वर्षों तक कानून का अभ्यास किया है और वह विधि आयोग के पूर्व सदस्य रह चुके हैं।
वह न्यायालय के कर्मचारियों की सेवा शर्तों से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में भी पेश हुए थे।
क्या होता है अटॉर्नी जनरल का पद?
अटॉर्नी जनरल सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से केंद्र सरकार की सिफारिश पर की जाती है। अटॉर्नी जनरल केंद्र सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी होते हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने का अधिकार होता है। अब जबकि वेंकटरमणी को एक बार फिर नया कार्यकाल मिला है तो ऐसे में वे लगातार दूसरी बार इस सांविधानिक पद की जिम्मेदारी निभाएंगे।