भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन बनेगा विकास का नया केंद्र

प्रदेश की स्थापना के 70 वें वर्ष में विकास का एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। राज्य सरकार अब राजधानी भोपाल और उसके आसपास के पांच जिलों को मिलाकर भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन (बीएमआर) की स्थापना की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इस परियोजना को प्रदेश की अगली पीढ़ी के शहरी विकास मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। बीएमआर की स्थापना के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट निर्धारित किया गया है, जबकि करीब 10 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों का खाका तैयार किया जा रहा है। इसमें मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के भीतर सड़कों का विस्तार, आधुनिक सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण और एकीकृत शहरी ढांचे का विकास शामिल होगा।

जानकारी के अनुसार, फिलहाल भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) इस परियोजना की विस्तृत विकास योजना (डीडीपी) के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया में है। इससे पहले बीएमआर का प्रशासनिक ढांचा और सेटअप तय किया जाएगा। शासन ने सितंबर 2025 में ही इस रीजन से संबंधित नियम जारी कर दिए थे, जिसके बाद अब वित्तीय और तकनीकी स्तर पर कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

9600 वर्ग किमी कुल क्षेत्रफल

बीएमआर का कुल क्षेत्रफल 9600 वर्ग किमी है। इसमें भोपाल, राजगढ़, विदिशा, रायसेन और सीहोर जिले शामिल हैं। इन जिलों के मौजूदा मास्टर प्लान बीएमआर में समाहित होंगे, जिससे क्षेत्रीय विकास का समन्वय सुनिश्चित होगा। साथ ही पूरे रीजन के लिए एकीकृत पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिसमें बस सेवाओं को एक एजेंसी के अधीन लाने की योजना है।

प्रारंभिक बजट निर्धारित

भोपाल नगर निगम, जिला पंचायतों और नगरीय निकायों को भी बीएमआर की संरचना में जोड़ा जाएगा। स्थानीय पार्षदों के बहुमत के आधार पर सदन जैसी प्रतिनिधिक संरचना तय की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि शासन की एसओपी के तहत 200 करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट निर्धारित किया गया है, जो बीएमआर की स्थापना और प्रारंभिक गतिविधियों पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तय समयसीमा में योजना को क्रियान्वित कर क्षेत्र में कार्य प्रारंभ कर दिए जाएंगे।

औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी

एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्री मंडीदीप के पूर्व उपाध्यक्ष एवं ट्रेजरर नरेंद्र कुमार सोनी ने बताया कि भोपाल मेट्रोरीजन में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिलों के शामिल होने से औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी। इससे क्षेत्र में परिवहन और लॉजिस्टिक लागत घटेगी, उद्योगों के लिए साझा आधारभूत ढांचा विकसित होगा और निवेशकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। मंडीदीप जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को सीधा संसाधन और बाजार से जोड़ने का अवसर मिलेगा। साथ ही, अलग-अलग जिलों के बीच ई-बिलिंग जैसी जटिलताएं कम होंगी। इससे न केवल नए उद्योग स्थापित होंगे, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

शहरी विकास की दिशा में एक दूरदर्शी कदम

भोपाल क्रेडाई के अध्यक्ष मनोज मीक ने कहा कि भोपाल मेट्रोरीजन का गठन शहरी विकास की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। दुनिया भर में शहरीकरण की गति तेजी से बढ़ रही है और वर्ष 2047 तक शहरी आबादी 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। ऐसे में नए शहरों को योजनाबद्ध तरीके से तैयार करना समय की आवश्यकता है। मीक ने कहा कि मुंबई और दिल्ली एनसीआर जैसे मेट्रो रीजन पहले ही विकसित हो चुके हैं, लेकिन अब उनकी खूबियों और खामियों से सीखकर नए रीजन तैयार किए जा रहे हैं। चीन, सिंगापुर और यूएई जैसे देशों ने अपने नए शहर ग्लोबल टाउन प्लानिंग के जरिए विकसित किए हैं। भोपाल मेट्रोरीजन भी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के बाद से महानगरों में पर्यावरण, यातायात और जनसंख्या दबाव जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अब टीयर-2 और टीयर-3 शहरों को तेजी से विकसित किया जा रहा है, ताकि महानगरों का बोझ कम हो सके। मनोज मीक ने कहा कि इससे न केवल कंपनियों और सरकारी कार्यालयों को वैकल्पिक स्थानों पर स्थानांतरित करने में सुविधा होगी, बल्कि लागत घटेगी और आर्थिक प्रवाह भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से सरकार को मेट्रो रीजन के लिए ग्लोबल टाउन प्लानर्स से मास्टर प्लान तैयार कराने का सुझाव दिया था।

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