माउंट आबू का प्राचीन कुंड: भगवान श्रीराम ने यहां किया था स्नान

यह रामकुंड सिरोही जिले के हिल स्टेशन माउंट आबू में नक्की लेक के समीप स्थित श्रीसर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में बना है। यहां तक पहुंचने के लिए मंदिर से करीब एक किलोमीटर की दूरी जंगल से होकर तय करनी पड़ती है।

सिरोही जिले के माउंट आबू स्थित एक ऐसे कुंड के बारे में बता रहे हैं, जिसके बारे में मान्यता है कि गौमुख वशिष्ठ आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने के बाद भगवान श्रीराम ने यहां पर स्नान किया था। इस कुंड का पानी प्रसाद है। इसका सेवन करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलने के साथ ही मानसिक शांति मिलती है। इसके साथ कुंड से जुड़ा एक अतिप्राचीन मंदिर भी है। मंदिर में भगवान श्रीराम बाल स्वरूप में अकेले विराजमान हैं।

यह रामकुंड सिरोही के हिल स्टेशन माउंट आबू में नक्की लेक के समीप स्थित श्रीसर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में बना है। यहां तक पहुंचने के लिए मंदिर से करीब एक किलोमीटर की दूरी जंगल से होकर तय करनी पड़ती है। इसके बाद एक पहाड़ी के नीचे गुफा में बना यह कुंड नजर आता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने गोमुख वशिष्ठ आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहां पर स्नान किया था। ऐसे में इस कुंड का पानी प्रसाद के समान है। इसके प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है कि इस कुंड के पानी से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और यह मानसिक शांति देने वाला है।

दीपावली पर्व से त्योहार की खुशियों हो या गुजरात में प्रमुख रूप से मनाए जाने वाली लाभ पांचम पर माउंट आबू घूमने का मौका। यहां आने वाला पर्यटक इनके दर्शन किए बिना नहीं जाता। इनके दर्शन के बिना माउंट आबू का सफर अधूरा माना गया है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में भीड़ हमेशा रहती है, लेकिन दीप पर्व से लाभ पांचम तक यहां भक्ताें की संख्या काफी बढ़ जाती है। भगवान श्रीराम ने गोमुख वशिष्ठ आश्रम में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी।

प्रदेश का इकलौता ऐसा मंदिर, जहां पर अकेले विराजमान हैं भगवान श्रीराम
माउंट आबू के श्रीसर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर भगवान श्रीराम भाई लक्ष्मण एवं माता सीता के बिना अकेले विराजमान हैं। आचार्य डॉ. सियाराम दास महाराज नैयायिक ने बताया, भगवान श्रीराम एवं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप ही श्याम है। यहां विराजे प्रभु श्रीराम की मूर्ति साढ़े तीन फीट है एवं मूर्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर है। सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के अधिकारी व्यवस्थापक डॉ. स्वामी राधाकृष्णदास महाराज ने बताया कि रघुनाथ मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के बिना प्रभु बाल स्वरूप रूप में अकेले विराजित हैं और यह राजस्थान का पहला ऐसा मंदिर है। मान्यता है कि श्रीराम की मूर्ति 5500 साल पुरानी स्वयंभू है और 700 साल पहले जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने इसे मंदिर में स्थापित किया था।

रामानंद संप्रदाय के साधु करते हैं भगवान श्रीराम की पूजा
वैष्णवों के चार संप्रदायों में मुख्य रामानंद संप्रदाय की शाखा का उद्गम पीठ यही है। यहां विराजित श्रीराम जी की मूर्ति की आज भी रामानंद संप्रदाय के साधु पूजा करते हैं। मंदिर में रामनवमी पर मेला लगता है। मंदिर में हर साल पाठ उत्सव मनाया जाता है।

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