मृदा दिवस: बिगड़ रही माटी की सेहत, 86 प्रतिशत सैंपल में पोषक तत्वाें की कमी मिली
प्राकृतिक खेती से दूर होकर पर रसायनों का प्रयोग करने से जमीन में पोषक तत्वों की कमी हो गई है। जिसके चलते फसलों के उत्पादन तथा गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। मिट्टी की सेहत जांचने के लिए कृषि विभाग ने जिले में वर्ष 2024-25 में 169750 सैंपल लिए। जिसमें अब तक 43143 सैंपल की जांच हो चुकी है। जिसमें 86 प्रतिशत सैंपल में जमीन में किसी न किसी पोषक तत्व की कमी मिली है। इस जांच में पाया गया कि माटी की सेहत लगातार बिगड़ रही है। अगर हमने आर्गेनिक कार्बन की ओर कदम नहीं बढ़ाए तो आने वाले समय में यह समस्या विकराल हो जाएगी। जिससे फसल का उत्पादन तो गिरेगा ही उसमें पोषक तत्वों की भी कमी होगी।
फसल चक्र नहीं बदलने से किसानों की समस्या लगातार गहरा रही है। बार बार उन्हीं फसलों को दोहराने से जमीन में 14 तरह के पोषक तत्वाें की कमी हो रही है। केंद्र सरकार की सॉयल हेल्थ टेस्टिंग प्लान के तहत पिछले 6 साल से मिट्टी के सैंपल लेकर सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए जा रहे हैं। यह कार्ड किसानों को देकर उनके खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य बताया जाता है। जिसके बाद कृषि विभाग के अधिकारी किसान को यह भी बताते हैं कि मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व कितनी मात्रा में तथा कब डालना है।
कृषि विभाग के मृदा विशेषज्ञों के अनुसार हिसार जिले में नाइट्रोजन, जिंक, फाफोरस, पोटाशियम, सल्फर, मैगनीज, फैरस की कमी सबसे अधिक है। हेल्थ कार्ड के अनुसार किसान को यह पोषक तत्व डालने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों ने कहा कि फसल चक्र में बदलाव न करने, गहरी जुताई न करने, जमीन को खाली न छोड़ने , उर्वरकों का बिना सलाह अत्याधिक उपयोग करने, कीटनाशकों का अत्याधुंध प्रयोग करने से मिट्टी की सेहत लगातार खराब हो रही है।
जिले में 5 लैब 660 की क्षमता
जिले में सॉयल हेल्थ टेस्टिंग के लिए 5 लैब हैं। जिसमें हांसी स्थित सबसे बड़ी सरकारी लैब की क्षमता 600 सैंपल रोजाना की है। चार निजी लैब की क्षमता 15 टेस्ट प्रतिदिन की है। जिले में एक दिन में 660 सैंपल की जांच हो सकती है। कृषि विभाग की ओर से यह जांच निशुल्क की जाती है। अगर कोई किसान चाहे तो अपनी मिट्टी के सैंपल लाकर लैब में जमा करा सकता है। जिसके बाद उसे रिपोर्ट दे दी जाएगी। इसके अलावा एचएयू में भी मिट्टी जांच की अपनी खुद की लैब है।
ऐसे सुधरेगी मिट्टी की सेहत
हरी खाद , ढैंचा खाद, केंचुआ खाद , गोबर की खाद का उपयोग करें।
फसलों में कीटनाशकाें का प्रयोग करने की बजाए प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करें।
उर्वरकों का उपयोग कृषि विभाग की सलाह व मिट्टी की जांच के बाद ही करें।
दो ही फसलों को बार बार न लगाएं , फसल चक्र में बदलाव करें।
बारिश के सीजन से पहले जमीन की गहराई जुताई करें
अधिकारी के अनुसार
मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो रही है। कृषि विभाग की ओर से हर साल सॉयल सैंपल लेकर टेस्टिंग रिपोर्ट किसानों को दी जाती है। किसानों को उर्वरकों ,कीटनाशकों का उपयोग बंद करना होगा। फसल चक्र को अपनाते हुए देसी खादों का उपयोग करना होगा। आर्गेनिक कार्बन से ही मिट्टी की सेहत अच्छी होगी। -डॉ. अरुण कुमार, कृषि विशेषज्ञ, हिसार।
जिले में कुल भूमि –999066 एकड़
जिले में कुल कृषि भूमि –875773 एकड़
जिले में कुल बिजाई एरिया 820973 एकड़
जिले में कुल सिंचित भूमि 659030 एकड़
नहरी पानी सिंचित भूमि 509037 एकड़
टयूबवैल सिंचित भूमि 149992 एकड़
बारिश पर आधारित कृषि भूमि 216744 एकड़
जिले में सॉयल हेल्थ के कुल सैंपल लक्ष्य 250000
अब तक लिए गए सैंपल 169750
जिले में अब तक लिए जमा कराए गए सैंपल 133014
अब तक जांचे गए सैंपल 43143