यूपी: लोकबंधु अस्पताल में आग की घटना की जांच करेगी 5 सदस्यीय कमेटी, डिप्टी सीएम ने दिए जांच के आदेश

लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय में सोमवार देर रात आग लगने की घटना की जांच 5 सदस्यीय कमेटी करेगी। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने 15 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर प्रमुख सचिव की ओर से जांच के लिये पत्र जारी किया गया है। पाठक का कहना है कि इस प्रकरण में यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसे लेकर भी जांच कमेटी अपने सुझाव प्रस्तुत करेगी।

ICU और HDU वाले फ्लोर पर लगी भीषण आग
बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते सोमवार रात लोकबंधु राज नारायण संयुक्त अस्पताल के सेकेंड फ्लोर पर अचानक आग लग गई। यह घटना रात 9 बजकर 25 मिनट की है। बताया जा रहा है कि अंबेडकर जयंती की वजह से अस्पताल का ज्यादातर प्रशासनिक स्टाफ उस समय मौजूद नहीं था। जिस फ्लोर पर आग लगी, वहां फीमेल मेडिसिन वार्ड, आईसीयू (ICU) और एचडीयू (HDU) जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे। उस समय इस मंजिल पर करीब 40 से 50 मरीज भर्ती थे। मरीजों के साथ उनके तीमारदार भी मौजूद थे। आग लगने के बाद मौके पर मौजूद कुछ डॉक्टर और स्टाफ डर के मारे वहां से भाग गए, जिससे मरीजों की जान पर बन आई। क्रिटिकल कंडीशन वाले मरीजों को उनके परिजनों ने किसी तरह बाहर निकाला। पूरे अस्पताल में बिजली गुल हो गई और धुएं से हर तरफ अंधेरा छा गया।

एक मरीज की मौत, ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से तोड़ा दम
इस आग की घटना में 61 साल के राजकुमार प्रजापति की मौत हो गई। वे हुसैनगंज के छितवापुर के रहने वाले थे और 13 अप्रैल को बीपी लो होने के कारण ICU में भर्ती किए गए थे। जब ऑक्सीजन सप्लाई बंद हुई तो उनकी हालत बिगड़ी और कुछ ही देर में उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके साथ बेटे दीपेंद्र प्रजापति और दामाद सूरज मौके पर मौजूद थे। परिजनों ने बताया कि मौके पर सिर्फ एक कर्मचारी था, बाकी स्टाफ और डॉक्टर वहां से चले गए थे।

फायर ब्रिगेड ने कांच तोड़कर किया रेस्क्यू
बताया जा रहा है कि फायर ब्रिगेड की टीम जब मौके पर पहुंची, तब वह कांच तोड़कर अंदर घुसी। धुएं के कारण अंदर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। फिर भी कई कर्मचारी और तीमारदारों ने मुंह पर कपड़ा बांधकर मरीजों को बाहर निकालने में मदद की। गंभीर हालत में कुछ मरीजों को लखनऊ सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल में शिफ्ट किया गया।

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