रवि प्रदोष व्रत आज, ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

रवि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) भगवान शिव को समर्पित है और रविवार को पड़ने के कारण इसका विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही सूर्य के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

रवि प्रदोष व्रत का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। यह भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। रविवार के दिन पड़ने की वजह से इसे ‘रवि प्रदोष’ के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन प्रदोष काल की पूजा का बहुत महत्व है, जो कि इसके नाम से भी पता चलता है। कहते हैं कि इस दिन (Pradosh Vrat 2025) भगवान शिव की पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

रवि प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व (Pradosh Vrat 2025 Significance)
रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है, और जब प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस उपवास का पालन करने से व्यक्ति को सूर्य के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही शत्रुओं पर विजय, मान-सम्मान में वृद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें।
घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
शिव परिवार की प्रतिमा या शिवलिंग को स्थापित करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत से अभिषेक करें।
भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, कनेर के फूल और फल अर्पित करें।
घी का दीपक जलाएं।
शिव चालीसा का पाठ और प्रदोष व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
अंत में भगवान शिव की आरती करें।
अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और अपनी मनोकामनाएं भगवान शिव के सामने बोलें।

इन बातों का रखें ध्यान (Pradosh Vrat 2025 Dos And Donts)
इस दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें।
इस दिन अन्न का सेवन न करें।
हालांकि फलहार कर सकते हैं।
व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही करें।
शिवलिंग पर हल्दी और सिंदूर न चढ़ाएं, क्योंकि इससे जीवन में अशुभता आती है।

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