राजस्थान: दरगाह शरीफ वाला अजमेर बनेगा जैन तीर्थ स्थल?
अजमेर की एक नई पहचान बनाने की कोशिश शुरु हो गई है। अभी तक इस शहर को ख्वाजा निजामुद्दीन चिश्ती की दरगाह के कारण जाना जाता है। अब इसे जैन तीर्थ के नाम से भी जाना जाए। इसके लिए प्रयास शुरु हो गए हैं।
अजमेर दरगाह के दीवान जैनुअल अली खां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अजमेर को राष्ट्रीय स्तर पर जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है। इस पर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दीवान के बयान का समर्थन किया है। विष्णु गुप्ता ने कहा कि दीवान के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि अजमेर में कभी जैन मंदिर थे। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने स्वयं अजमेर कोर्ट में यह मामला दायर किया है कि दरगाह शरीफ जिस स्थान पर स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर दरगाह बनाई गई थी। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
क्या है वजह?
अजमेर का इतिहास और वर्तमान जैन संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। अगर वर्तमान की बात की जाए तो जैन धर्म के आचार्य विद्यासागर महाराज का संबंध अजमेर से हैं। विद्यासागर ने 30 जून 1968 को अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि पद की दीक्षा ली। महावीर सर्किल के पास दीक्षास्थल पावन तीर्थ बन चुका है।
यहां 71 फीट का कीर्ति स्तंभ और दीक्षा से जुड़े भित्ति चित्र उकेरे गए हैं। बताया जाता है कि आचार्य श्री दीक्षा से पूर्व ब्रह्माचारी अवस्था में आए थे। उनको केवल कन्नड़ भाषा आती थी। अजमेर के केसरगंज में ही रहकर उन्होंने हिंदी व अंग्रेजी भाषा सीखी। यही अंडरग्राउंड कमरा था। यहां पर स्वाध्याय व अन्य धार्मिक कार्य करते थे।
अगर इतिहास में जाया जाए तो यहां ढाई दिन का झोपड़ा समेत अनेक पुरामहत्त्व की धरोहरें जैन संप्रदाय से जुड़ी हुईं हैं। हाल फिलहाल में अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर होने को लेकर किए जा रहे दावों के बीच ऐतिहासिक ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद में भी मंदिर होने का दावा किया गया था। ये दावा अजमेर के डिप्टी मेयर और भाजपा नेता नीरज जैन ने किया था।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा में संस्कृत कॉलेज और मंदिर होने के सबूत मिले थे। इसे आक्रमणकारियों ने उसी तरह ध्वस्त कर दिया था, जिस तरह उन्होंने नालंदा और तक्षशिला को ध्वस्त किया था। नीरज जैन ने कहा था कि हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारी शिक्षा पर हमला हुआ और यह (झोपड़ा) भी उनमें से एक था। फिलहाल नीरज जैन ने राज्य और केंद्र सरकार से इस इमारत की जांच करने की मांग की है।
क्या कहा था अजमेर दीवान ने
दरगाह दीवान सैयद जैनुअल ने अपने बयान में अजमेर को राष्ट्रीय स्तर का जैन तीर्थ स्थल घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने संबंधी बयान मंगलवार को दिया था। दरगाह दीवान ने कहा कि भारत अनेकों धर्म और समृद्ध आध्यात्मिक विरासत का संगम है। इस भारत की पावन धरती अनगिनत ऋषियों, संतों और महान विभूतियों की तपोस्थली रही है, जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अनमोल योगदान दिया है। इसमें अजमेर का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
यहां ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह विश्व भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। वहीं, दूसरी ओर जगत पिता ब्रह्मा का तीर्थ अजमेर की धरती की ऐतिहासिक और धार्मिक प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। दीवार के इसपर बयान पर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि कम से कम दरगाह दीवान ने यह तो माना की अजमेर जैन धर्म की प्राचीन तीर्थ स्थली रही है।
कौन हैं विष्णु गुप्ता
विष्णु गुप्ता हिंदू सेना नामक संगठन के प्रमुख हैं। इसकी स्थापना वर्ष 2011 में की गई थी। विष्णु गुप्ता मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष की तरफ से पक्षकार है। इसको लेकर उनकी चर्चा खूब होती है। विष्णु गुप्ता अपनी याचिकाओं के कारण एक वर्ग के निशाने पर हैं। इन्होंने ही अजमेर दरगाह में मंदिर होने का दावा किया है। फिलहाल ये मामला कोर्ट में है।
खैर दरगाह दीवान के इस बयान ने अजमेर शहर में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। अजमेर दरगाह, जो सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। दूसरी ओर अजमेर को जैन धर्म के प्रमुख स्थलों में से एक माना जाता है, क्योंकि यहां भगवान आदिनाथ और अन्य तीर्थंकरों से जुड़े कई प्राचीन स्थल मौजूद हैं।