11 या 12 अगस्त, कब है कजरी तीज?

कजरी तीज के दिन सुकर्मा योग (Teej Teej Ravi Yog Benefits) समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी। कजरी तीज के दिन मंदिरों में शिव-शक्ति की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

सनातन धर्म में भादप्रद महीने का खास महत्व है। इस महीने में भगवान कृष्ण, भगवान गणेश और राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भादप्रद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जगत के पालहार भगवान कृष्ण का अवतरण दिवस मनाया जाता है। वहीं, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इससे पहले शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश महोत्सव मनाया जाता है।

हालांकि, भाद्रपद माह का पहला पर्व कजरी तीज है। यह पर्व हर साल भादप्रद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त व्रत रखा जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां रखती हैं। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में विस्तारपूर्वक वर्णित है। आइए, कजरी तीज की सही डेट जानते हैं-

कजरी तीज महत्व
हर साल भाद्रपद महीने में कजरी त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके लिए कजरी तीज का पर्व देश भर के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर, उत्तर भारत में कजरी तीज को लेकर विशेष उत्साह और उमंग देखा जाता है।

कजरी तीज शुभ मुहूर्त (Teej Teej 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 अगस्त को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 33 मिनट पर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि शुरू होगी। वहीं, 12 अगस्त को सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त होगी।

तिथि को लेकर भक्तजनों में संशय है। सनातन धर्म में आमतौर पर उदया तिथि मान है। इस प्रकार 12 अगस्त को कजरी तीज मनाई जाएगी। व्रती कजरी तीज की तिथि के लिए स्थानीय पंचांग का सहारा ले सकती हैं।

पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 49 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 03 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 38 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 03 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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