4 दिनों तक मनाया जाता है पोंगल का त्यौहार, आइए जानते हैं उनके बारे में
हम सभी इस बात से वाकिफ ही है कि दक्षिण भारत में तमिल हिंदु पोंगल का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मानते हैं. ऐसे में इस साल यानी 2019 में पोंगल 14 से 18 जनवरी तक मनाया जाने वाला है. कहते हैं पोंगल का त्यौहार संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और पोंगल त्यौहार में वर्षा, धूप और खेतिहर मवेशियो की आराधना की जाती है. पोंगल को चार दिनों तक मानाया जाता है और हर दिन पोंगल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं उनके बारे में.
भोगी पोंगल- कहते हैं पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं क्योंकि इस दिन देवराज इन्द्र की पूजा की जाती हैं. इसी के साथ इस दिन लोग अपने घर में पुराने कपड़े और कूड़े को एक जगह इकट्ठा करके उसे जलाते हैं यह भगवान के प्रति सम्मान और बुराई के अंत की भावना होती है. कहते हैं इस दिन युवा रात को भोगी कोट्टम बजाते हैं.
सूर्य पोंगल- वहीं पोंगल का दूसरा दिन सूर्य पोंगल कहा जाता है, कहते हैं दूसरा दिन भगवान सूर्य देव को समर्पित होता है. इस दिन अलग तरह की खीर बनाई जाती हैं और यह खीर मिट्टी के बर्तन में नए धान से तैयार चावल की खीर होती है. कहते हैं यह खीर सूर्य देव को स्पेशल प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
मट्टू पोंगल- कहते हैं तीसरे दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है. इसमें तमिल मन्यताओं का मानना है कि मट्टू भगवान शिव का बैल है जिसे शंकर भगवान ने पृथ्वी पर रहकर इंसान के लिए अन्न पैदा करने के लिए कहा तब यह इंसान की मदद करते हैं इस दिन सभी किसान अपने बैलों को स्ना करवाते हैं. ऐसे में उनके सिंगो पर तेल लगाते है उन्हें सजाया जाता है.
कन्या पोंगल- आप सभी को बता दें कि पोंगल के अंतिम दिन को कन्या पोंगल के नाम से जानते हैं, और इसे स्थानीय लोग तिरूवल्लूर कहते हैं. कहा जाता है इस दिन घर को सजाया जाता है और आम के पत्ते से घर बाहर तोरण बनाया जाता है इसी के साथ इस दिन बौलों की लड़ाई होती है.