एम्स, सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल का बजट बढ़ा; लेडी हार्डिंग का घटा
केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए अस्पतालों को अतिरिक्त बजट दिया है। बजट में केंद्र सरकार के अस्पतालों में सुविधाओं के विस्तार पर भी जोर दिया गया है। इसका सीधा फायदा दिल्ली-एनसीआर सहित दूरदराज से आने वाले लाखों मरीजों को होगा। हालांकि, लेडी हार्डिंग अस्पताल को इस बार 2.36% कम बजट दिया गया है।
आम बजट में एम्स को करीब 9%, सफदरजंग अस्पताल व वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज को 1.11%, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) व अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को करीब 26.55%और कलावती सरन बाल चिकित्सालय को करीब 6.8% अधिक बजट दिया गया है। बजट में एम्स को हेफा लोन के तहत ब्याज व मूलधन के रूप में किसी भी प्रकार का फंड देने का जिक्र नहीं है।
इधर, आरएमएल अस्पताल को जारी प्रोजेक्टों को पूरा करने व नए के लिए अतिरिक्त कैपिटल बजट दिया गया है। अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं के लिए सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक का निर्माण चल रहा है। उम्मीद है कि यह सितंबर तक बनकर पूरा हो जाएगा। इसके बनने के बाद यहां चिकित्सा उपकरण सहित दूसरी सुविधाएं आएंगी। इसके अलावा काली बाड़ी क्षेत्र में अस्पताल के लिए एक अतिरिक्त परिसर का भी निर्माण होना है।
हाल ही में केंद्र सरकार से अस्पताल को करीब 9 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई गई है। प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए अस्पताल को 558.17 करोड़ रुपये का कैपिटल बजट दिया गया है। यह पिछले बार के मुकाबले 187.42 करोड़ रुपये ज्यादा है। पिछले साल 370.75 करोड़ मिले थे। वहीं, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग और कलावती सरन बाल चिकित्सालय के कैपिटल बजट में मामूली कटौती की गई है। इस बार सफदरजंग अस्पताल को 135.15 करोड़, लेडी हार्डिंग अस्पताल को 101 करोड़ और कलावती सरन बाल चिकित्सालय को 7.94 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध करवाया गया है, जबकि पिछले साल सफदरजंग अस्पताल को 155 करोड़, लेडी हार्डिंग अस्पताल को 114 करोड़ और कलावती सरन बाल चिकित्सालय को 9.30 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध करवाया गया था।
तैयार होंगे स्वदेशी चिकित्सा उपकरण, इलाज होगा सुलभ
बजट में सरकार ने कौशल विकास को लेकर विशेष जोर दिया है। इसकी मदद से चिकित्सा के क्षेत्र में काफी सुधार होंगे। यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल गोयल ने कहा कि बजट में एक्सरे ट्यूब सहित दूसरे उपकरणों पर सीमा शुल्क कम किया गया है। इसकी मदद से देश में डिजिटल एक्सरे बनाने की दिशा में तेजी आएगी। इसके अलावा कौशल विकास को लेकर भी फंड दिया गया है। इसकी मदद से चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर रहे युवा आएंगे और उपकरण को लेकर रिसर्च करेंगे। ऐसा होने पर स्वदेशी उपकरणों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार होगा। देश में नए उपकरण बनने से सुविधाएं सस्ती व सुलभ उपलब्ध हो सकेंगी।
कैंसर की 3 दवाओं से सीमा शुल्क हटाने का स्वागत
केंद्र सरकार के आम बजट में कैंसर की तीन अतिरिक्त दवाओं को सीमा शुल्क से पूरी तरह बाहर रखने का विशेषज्ञों ने स्वागत किया है। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान की प्रोफेसर डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने कहा कि सरकार ने जिन दवाओं पर सीमा शुल्क हटाया है। उनका इस्तेमाल स्तन, फेफड़े और गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में होता है। देश में इनके हजारों मरीज हैं। दुरवलुमैब का उपयोग पित्त नली के कैंसर, पित्ताशय के कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर, हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा, नॉन-स्मॉल सेल और स्मॉल सेल लंग कैंसर के लिए किया जाता है। यह दवाएं कैंसर के इलाज में प्रभावी और नवीन हथियार हैं। यह सभी दवाएं इम्यूनोथेरेपी की श्रेणी में आती हैं। सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन हमारे रोगियों को कई और इम्यूनोथेरेपी दवाओं की आवश्यकता है।