यूपी: उपचुनाव में इस एजेंडे पर जातियों को साधेगी भाजपा…

उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में भाजपा इस एजेंडे पर ही उपचुनाव में जातियों को साधेगी। भाजपा के लिए हरियाणा और जम्मू-कश्मीर का चुनाव परिणाम बूस्टर का काम करेगा।

संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर बिगड़े जातीय समीकरण को साधने के लिए भाजपा फिर हिंदुत्व के एजेंडे का इस्तेमाल करेगी। कहा जा रहा है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम से मिले बूस्टर डोज का फायदा भाजपा यूपी के उपचुनाव में भी उठाएगी।

पार्टी का भी मानना है कि हिंदुत्व के फार्मूले से जातीय समीकरण साधने में उसे मदद मिलेगी। भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व यूपी की नौ विधानसभा सीटों के लिए नवंबर में होने वाले उपचुनाव में हिंदुत्व के साथ राष्ट्रवाद के फार्मूले का परीक्षण करेगी।

अगर सफलता मिलती है तो 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए इसी आधार पर रणनीति बनाई जाएगी। दरअसल, हरियाणा में लगातार तीसरी बार और 2014 व 2019 के मुकाबले ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाकर भाजपा ने सारे कयासों को झुठला दिया है।

वहीं, जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का करिश्मा भाजपा भले ही नहीं कर पाई हो, लेकिन वहां मिले सबसे ज्यादा वोटों ने पार्टी में नई उम्मीद जगाई है। लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में आए नतीजों को कांग्रेस ने भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति से विदाई के तौर पर प्रचारित किया।
अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर ने इसे एक तरह से खारिज कर दिया है। साफ है कि अब भाजपा यूपी के उपचुनाव में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे को धार देगी। इसका असर प्रदेश में दिखने भी लगा है। हालांकि, भाजपा के एजेंडे की काट को लेकर कांग्रेस और सपा ने भी तैयारी शुरू कर दी है।

जातियों को लामबंद करने की रणनीति
भाजपा ने दोनों राज्यों में चुनावों के दौरान बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया, जिसका असर भी हुआ। माना जा रहा है कि इस नारे की बदौलत ही भाजपा कांग्रेस के जाट, दलित व यादव वोट बैंक में सेंधमारी कर पाई। यही नहीं, गैर-जाट और दलितों में गैर-जाटव मतदाताओं को भी हिंदुत्व के नाम पर लामबंद कर लिया।

यूपी में ऐसे मजबूत करेगी समीकरण
जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर हिंदू भाजपा के पक्ष में गोलबंद दिखे। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, हिंदू लामबंदी जिस तरह जातीय गोलबंदी पर भारी पड़ती दिख रही है, वह यह बताने को पर्याप्त है कि बंटोगे तो कटोगे के नारे ने नतीजों पर असर डाला है। जाहिर है कि भाजपा इसे और धार देगी ताकि यूपी में 2014 से लेकर 2022 जैसे समीकरणों को फिर मजबूत किया जा सके।

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