कोयला खदानों से गैस निकालने की योजना पकड़ेगी रफ्तार
कंपनियों को उक्त परियोजना लगाने के लिए पूंजीगत उत्पाद खरीदने को कर छूट दिया जाएगा और ब्याज दर अदाएगी आदि में सब्सिडी दी जाएगी। सरकार ने वर्ष 2030 तक कोल गैसिफिकेशन परियोजनाओं से 10 करोड़ टन गैस निकालने का लक्ष्य रखा है। इसकी घोषणा आम बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। आइए जानते हैं कि क्या है सरकार का पूरा प्लान।
कोयला खदानों से गैस निकालने की सरकार की मंशा दो दशक पुरानी है लेकिन इसमें अभी तक खास सफलता हासिल नहीं हुई है। लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि इस बारे में सरकार की योजना जल्द ही रफ्तार पकड़ेगी। इस क्रम में सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से चार कंपनियों का चयन किया गया है जिन्हें कोल गैसिफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा।
इनके नाम हैं भारत कोल गैसिफिकेशन एंड केमिकल्स लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड और गेल इंडिया का संयुक्त उपक्रम, कोल इंडिया और न्यू इरा क्लीनटेक सोल्यूशंस। इसमें न्यू ईरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस को तीसरी श्रेणी के तहत छोटे आकार की परियोजना लगाने की अनुमति होगी और इस हिसाब से इसे वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा।
केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ महीने पहले 8500 करोड़ रुपये की एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी। इस फंड से उन कंपनियों को राशि उपलब्ध कराई जाएगी जो देश के कोयला खदानों से गैस निकालने की योजना में काम करेंगे। इसके लिए कोयला मंत्रालय के पास पांच कंपनियों ने आवेदन किया था। इनमें से ही उक्त चारों कंपनियों का चयन किया गया है।
कंपनियों को उक्त परियोजना लगाने के लिए पूंजीगत उत्पाद खरीदने को कर छूट दिया जाएगा और ब्याज दर अदाएगी आदि में सब्सिडी दी जाएगी। सरकार ने वर्ष 2030 तक कोल गैसिफिकेशन परियोजनाओं से 10 करोड़ टन गैस निकालने का लक्ष्य रखा है। इसकी घोषणा आम बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी।
देश के कोल गैसिफिकेशन क्षेत्र में सरकार व निजी कंपनियों की तरफ से अगले कुछ वर्षों में चार लाख करोड़ रुपये का निवेश किये जाने की संभावना है। इसमें रोजगार के नये अवसर भी काफी निकलेंगे। कोयला मंत्रालय का आंकलन है कि यह भारत में कार्बन उत्सर्जनक कम करने में भी काफी मददगार साबित होगा।
कोयला खदानों से निकलने वाले गैस का इस्तेमाल ईंधन में या औद्योगिक क्षेत्र में किया जा सकता है। इसकी आपूर्ति गैस आधारित बिजली संयंत्रों को भी हो सकती है। भारत में अभी 24 हजार मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाएं गैस की कमी की वजह से ठप्प पड़ी हुई हैं। इन्हें कोल गैसिफिकेशन से प्लांट से गैस की आपूर्ति हो सकती है।
अगर बड़ी मात्रा में गैस की आपूर्ति सुनिश्चित होती है तो सरकार की तरफ से संबंधित कोयला खदान के आस पास उर्वरक प्लांट लगाने का फैसला भी हो सकता है। कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी बड़ी मात्रा में हम गैस निकालने में सफल होते हैं। अगर 10 करोड़ टन का लक्ष्य हासिल हो जाता है तो यह मौजूदा गैस उत्पादन का दोगुना होगा।