राजस्थानी लोक धुनों पर थिरके ऊंट, हैरतअंगेज करतबों से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया

अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के दूसरे दिन एनआरसीसी में आयोजित ऊंटों की विभिन्न प्रतियोगिताओं के दौरान ऊंट नृत्य, ऊंट दौड़, सजावट, फर कटिंग और अन्य रोमांचक प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनका सैलानियों ने भरपूर आनंद लिया।

अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के दूसरे दिन रेगिस्तान के जहाज ऊंट के करतब देसी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे। शनिवार को हुए कार्यक्रमों की शृंखला में एनआरसीसी परिसर में ऊंटों की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें ऊंट नृत्य, ऊंट दौड़, साज सज्जा, फर कटिंग सहित अन्य रोमांचक प्रतियोगिताओं का सैलानियों ने लुत्फ उठाया।

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में देसी-विदेशी सैलानी पहुंचे। राजस्थानी लोक धुन पर ऊंटों ने ऊंची छलांगों और नृत्य के साथ सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। पारंपरिक ऊंट सज्जा, फर कटिंग की कलाओं को भी सैलानियों ने खूब सराहा।

परिसर में हर तरफ सजे-धजे ऊंटों की चमक हर किसी को बरबस ही अपनी और खींच रही थी। यहां पहुंचे लोग ऊंटों की सवारी करने के साथ-साथ सेल्फी लेते भी नजर आए। फ्रांस से यहां पहुंचे एक पर्यटक ने बताया कि वे पहली बार भारत आए हैं और ऊंट उत्सव को लेकर वे बेहद रोमांचित हैं। मेले में राजस्थान की रंग-बिरंगी संस्कृति को देखकर उत्साहित होते हुए उन्होंने कहा कि ऊंटों के शरीर पर फर कटिंग आज से पहले उन्होंने कभी भी नहीं देखी। वहीं ऊंट फर कटिंग में हिस्सा ले रहे पशुपालक ने बताया कि वे इस प्रतियोगिता के लिए महीनों से तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऊंट के शरीर के फर कतरन का काम बेहद जटिल है। हमने अपने ऊंट पर हनुमान जी, तेजा जी, गाय और महादेव के चित्र उकेरे हैं।

इस दौरान आयोजित ऊंट साज-सज्जा प्रतियोगिता में लक्ष्मण प्रथम, इमरान दूसरे और मगाराम तीसरे स्थान पर रहे। ऊंट दौड़ प्रतियोगिता में भागीरथ, अकरम तथा अरमान क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय रहे। ऊंट फर कटिंग में प्रथम स्थान पर जापान की मेगूमी, श्रावण द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर हरिराम रहे। ऊंट नृत्य प्रतियोगिता में धर्मेंद्र प्रथम, शिशुपाल द्वितीय तथा महेन्द्र सिंह तीसरे स्थान पर विजेता रहे।

इन प्रतियोगिताओं के बाद डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में देर रात तक उत्सव का माहौल देखने लायक था। महोत्सव की शुरुआत मिस मरवण, मिस्टर बीकाणा और ढोला-मरवण जैसी लोकप्रिय और अद्भुत प्रतियोगिताओं से हुई। राजस्थान की परंपरा और संस्कृति को दर्शाने वाली इन प्रतियोगिताओं ने न केवल स्थानीय दर्शकों, बल्कि देश-विदेश से आए पर्यटकों का दिल जीत लिया।

मिस मरवण प्रतियोगिता में राजस्थानी परिधानों में सजी महिलाओं ने अपनी खूबसूरती और व्यक्तित्व का प्रदर्शन किया, वहीं मिस्टर बीकाणा में पुरुषों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा और आकर्षक अंदाज से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

ढोला-मरवण प्रतियोगिता ने लोगों को राजस्थान की अमर प्रेम कहानियों की याद दिला दी। इसमें प्रतिभागियों ने ढोला और मरवण की भूमिका निभाकर अपने अभिनय और सांस्कृतिक समझ का प्रदर्शन किया। ये प्रतियोगिताएं न केवल मनोरंजन का जरिया बनीं, बल्कि बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत कर दिया। कार्यक्रम के दौरान आयोजित सांस्कृतिक संध्या में लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। देशभर से आए कलाकारों ने राजस्थानी गानों, कथक, कालबेलिया नृत्य और लोकगीतों के माध्यम से स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ बाहर से आए कलाकारों ने भी परंपरा और आधुनिकता का शानदार मेल प्रस्तुत किया।

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