आखिर कैसी होती है वो कसौटी, जिसपर उतरा जाता है खरा? नहीं जानते हैं ज्यादातर लोग

पुराने समय में ऐसी कई बातें होती थी, जिसे लोग कहावत के तौर पर कहते थे. इन कहावतों में जिन चीजों का जिक्र होता है, उसे रियल लाइफ में अपनाया जाता था. इसी में से एक कहावत आपने सुनी होगी- कसौटी पर खरा उतरना. इसका मतलब होता है एक इंसान का किसी पैमाने पर सही साबित होना. लेकिन क्या आपको पता है कि असल में इस कहावत की शुरुआत कैसे हुई?
आज के समय में सोना यानी गोल्ड की शुद्धता हॉलमार्क से मापी जाती है. लेकिन पहले के समय में ऐसा कोई पैमाना नहीं होता था. पहले के समय में सोने की शुद्धत्ता कसौटी से मापी जाती थी. ऐसे में सवाल उठता है कि कसौटी आखिर होता क्या है? दरअसल, ये कसौटी एक तरह का पत्थर है, जिसपर घिस कर सोने की शुद्धता मापी जाती है. आज के समय में ज्यादातर लोग इस कसौटी के बारे में नहीं जानते हैं.
दिखता है ऐसा
सोशल मीडिया पर एक शख्स ने वीडियो के जरिये कसौटी दिखाया. शख्स ने एक काले रंग का पत्थर निकाला और लोगों को बताया कि कसौटी कैसा दिखाई देता है. इसी काले पत्थर पर पहले के समय में सोने की घिसाई की जाती थी. इसपर सोने के निशान के आधार पर तय किया जाता था कि सोना असली है या नकली.
अब नहीं दिखाई देता है कसौटी
आज के जमाने में ये कसौटी जल्दी नजर नहीं आता है. कुछ ऐसे लोग जो पुरानी चीजों का संग्रह करते हैं, उन्हीं के पास कसौटी दिख जाती है. जैसे ही वीडियो को शेयर किया गया, ये वायरल हो गया. कई लोगों ने कमेंट में लिखा कि उन्होंने पहली बार कसौटी देखा. वहीं एक ने लिखा कि पहले समय की ये चीजें ज्यादा विश्वसनीय होती थी. हॉलमार्क एक बार के लिए धोखा दे दे, लेकिन कसौटी पर खरा उतरा सोना कभी नकली नहीं हो सकता.



