सीएम मान का बड़ा प्रयास: कृषि वित्त को डिफॉल्टर गतिरोध से मुक्त करना

सहकारी बैंकों के कामकाज में बड़े सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज इन बैंकों के डिफाल्टर खाताधारकों से वसूली की प्रक्रिया में तेजी लाने के आदेश दिए, ताकि कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए कर्ज देने में कोई बाधा न आए।
आज यहां मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर आयोजित बैठक के दौरान सहकारी बैंकों के कामकाज की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि डिफॉल्टर बैंकों के विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं क्योंकि उनके पास फंसा पैसा अन्य जरूरतमंद लोगों को वित्तीय सहायता में बाधा डालता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे और मध्यम किसान हमेशा प्राथमिकता के आधार पर बैंकों को ऋण वापस करते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बड़े किसान सहकारी बैंकों के डिफॉल्टर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन सरकारी कर्मचारियों ने सहकारी बैंकों से ऋण लिया है, वे अपना बकाया तुरंत चुकाएं। भगवंत सिंह मान ने सहकारिता विभाग को डिफॉल्टरों से वसूली के लिए उचित प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए ताकि ऋणों की पूरी वसूली सुनिश्चित की जा सके।

मुख्यमंत्री ने फसल ऋण की वसूली मात्र 65 प्रतिशत होने पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सहकारी बैंकिंग प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक फसल ऋण की समय पर अदायगी करने पर 3 प्रतिशत ब्याज छूट देते हैं, फिर भी बहुत से किसान ऋण की अदायगी नहीं करते, जिससे उन्हें न केवल अधिक ब्याज देना पड़ता है, बल्कि भविष्य में ऋण या अन्य लाभ लेने से भी वंचित होना पड़ता है। राज्य सरकार अपने किसानों के साथ भेदभाव को स्वीकार नहीं करेगी।
बैठक में बताया गया कि राज्य में किसानों को प्रतिवर्ष लगभग 8000 करोड़ रुपए का फसली ऋण सहकारी बैंकों के माध्यम से 3523 सहकारी समितियों के माध्यम से दिया जाता है। यह ऋण मात्र 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जाता है तथा यदि किसान समय पर ऋण चुकाता है तो उसे ब्याज दर में 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलती है। इसके विपरीत, समय पर ऋण न चुकाने वाले किसानों को 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देना पड़ता है, जो 9.5 प्रतिशत हो जाता है।

मुख्यमंत्री ने फसली ऋण वसूली में बेहतरीन रिकार्ड रखने वाली प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग को ऐसी सहकारी समितियों को विशेष तरीके से सम्मानित करने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें सहकारी क्षेत्र में रोल मॉडल के तौर पर पेश किया जा सके। बैठक के दौरान बताया गया कि धूरी सर्कल के अंतर्गत आने वाली सहकारी समितियों की ऋण वसूली दर 99 प्रतिशत है और धूरी सर्कल एक मॉडल के तौर पर उभरा है। भगवंत सिंह मान ने इन समितियों को सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित करने के भी निर्देश दिए।
नाबार्ड द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए रियायती पुनर्वित्त ऋण की वार्षिक सीमा कम करने पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा में सबसे अधिक योगदान देता है और ऋण सीमा में इस तरह की कटौती से कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ऋण सीमा को 3000 करोड़ रुपये तक बहाल करने के लिए नाबार्ड के चेयरमैन के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे।
जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं जिला प्रबंधक (डीएम) की दोहरी नेतृत्व प्रणाली को समाप्त करने को हरी झंडी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंक का नेतृत्व एक ही अधिकारी के हाथों में होना चाहिए ताकि कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी हो सके तथा जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय हो सके।
इस दौरान मुख्य सचिव केएपी सिन्हा, पंजाब राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के चेयरमैन जगदेव सिंह बाम, अतिरिक्त मुख्य सचिव-सह-वित्त आयुक्त सहकारिता आलोक शेखर, प्रमुख सचिव वित्त कृष्ण कुमार, प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राहुल तिवारी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रवि भगत और विशेष प्रमुख सचिव कुमार अमित, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां विमल कुमार सेतिया और पंजाब राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के एमडी हरजीत सिंह संधू भी बैठक में उपस्थित थे।