प्रेग्नेंसी में पैरासिटामॉल का अनियमित इस्तेमाल पहुंचा सकता है नुकसान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टाइलेनाल (पैरासिटामॉल) और ऑटिज्म के बीच संबंध का दावा कर नई बहस को हवा देने की कोशिश की, पर उनके दावे को चिकित्सा क्षेत्र ने सिरे से खारिज कर दिया है।
हालांकि, गर्भावस्था के दौरान क्रोसिन या पैरासिटामॉल के ज्यादा या अनियमित सेवन का असर भ्रूण के विकास पर पड़ सकता है। कई समूहों पर हुए अध्ययन में तंत्रिका के विकास पर नकारात्मक असर पड़ने की बात सामने भी आई है, पर अमेरिका में टाइलेनाल नाम से बिकने वाला एसिटामिनोफेन या भारत में क्रोसिन या डोलो नाम से बिकने वाला पैरासिटामॉल ऑटिज्म का कारण है, यह शोध में साबित नहीं हो पाया है।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉ. आभा मजूमदार (वरिष्ठ सलाहकार, प्रसूति एवं स्त्री रोग, सर गंगाराम अस्पताल) का कहना है कि वर्तमान में क्रोसिन या पैरासिटामॉल का कोई अन्य समकक्ष विकल्प उपलब्ध नहीं है, क्योंकि डाइक्लोफेनाक, आइबुप्रोफेन और इंडोमेथेसिन जैसी दवाएं गर्भावस्था के दौरान 20 सप्ताह बाद तक नहीं दी जाती हैं, इसलिए क्रोसिन के अलावा किसी और दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहते।
आमतौर पर चिकित्सक गर्भावस्था के दौरान या गर्भधारण के 20 सप्ताह बाद डाइक्लोफेनाक, आइबुप्रोफेन और इंडोमेथेसिन जैसी दवाओं से परहेज की नसीहत देते हैं, वहीं क्रोसिन या पैरासिटामॉल गर्भावस्था के दौरान गर्भवती व गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए पूरी तरह सुरक्षित माने गए हैं। स्त्री एवं प्रसूति रोग और बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार उपचार के बिना मां का बुखार या दर्द गर्भावस्था के साथ ही बच्चे के विकास में जोखिम पैदा कर सकता है।
ऐसे में बुखार या दर्द पैदा करने वाली स्थितियों का उपचार करना जरूरी हो जाता है। यदि दर्द से राहत जरूरी है तो इन स्थितियों को कम करने के लिए क्रोसिन या पैरासिटामॉल की सबसे कम व प्रभावी खुराक और कम अवधि के इस्तेमाल के बारे में सोचना चाहिए। नियामक और नैदानिक एजेंसियों ने भी क्रोसिन या पैरासिटामॉल को गर्भावस्था में उपयोग के लिए सुरक्षित माना है।\
कम खुराक में लेने की सलाह
डॉ. ममता त्यागी (स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, मैक्स अस्पताल) बताती हैं कि उपचार की गाइडलाइन कभी भी किसी के व्यक्तिगत सोच-विचार से नहीं, बल्कि लंबे शोध व अध्ययन के बाद तय होते हैं। पैरासिटामॉल ‘ए’ कैटेगरी में है, जो सबसे सुरक्षित है। गर्भावस्था में पैरासिटामॉल अल्प समय के लिए ही दी जाती है। दर्द होने पर मरीज को पैरासिटामॉल नहीं देते तो बाकी के पेन किलर ज्यादा जोखिम वाले होते हैं।
वहीं डॉ. रमेश मीणा (बाल रोग विशेषज्ञ, आरएमएल अस्पताल) का कहना है कि गर्भावस्था में बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामॉल अब भी सुरक्षित व स्वीकृत विकल्पों में से एक है, बशर्ते इसे जरूरत पड़ने पर व न्यूनतम प्रभावी खुराक में लिया जाए। स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए इंटरनेट या राजनीतिक बयानों पर भरोसा करने के बजाय चिकित्सा परामर्श को ही प्राथमिकता दें।
डॉ. दीप्ति शर्मा (स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, अमृता हास्पिटल, फरीदाबाद) बताती हैं कि हाल में कुछ दावों में कहा गया है कि गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामॉल (एसीटामिनोफेन / टाइलेनाल) का सेवन बच्चों में ऑटिज्म का कारण बन सकता है। विज्ञानी दृष्टि से इस दावे का कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है। कुछ अध्ययनों में इस संबंध का संकेत मिला है, लेकिन वे इतने मजबूत नहीं हैं यह साबित कर सकें।