भारतीय दर्शन, वेदांत, और ध्यान की शिक्षाओं को आधुनिक बनाती है ये किताब

यह किताब “हू एम आई – अ जर्नी टू फंड योरसेल्फ” (“Who Am I – A Journey to find yourself”) आत्म-साक्षात्कार की यात्रा का एक मार्गदर्शक है, जो जीवन की गहराइयों में डुबकी लगाने और असली ‘मैं’ को समझने का निमंत्रण देती है। लेखक डॉ. उत्कर्ष सिन्हा ने इस पुस्तक में जीवन की दोहरीताओं, मन की आवाज़, और आत्मा के अनुभव को सरल और गहरी भाषा में समझाने का प्रयास किया है।

किताब की शुरुआत एक सामान्य मानव के जीवन के रोज़मर्रा के संघर्षों और बेचैनी से होती है, जब व्यक्ति खुद से सवाल करता है—”मैं कौन हूँ?” यह सवाल बाहरी पहचान जैसे नाम, काम, और सामाजिक भूमिकाओं से आगे जाकर आत्मा की खोज का मार्ग खोलता है। यहाँ लेखक ने बताया है कि हमारी असली पहचान न तो हमारा शरीर है और न ही मन की भावनाएँ, बल्कि वह स्थिर और साक्षी चेतना है जो हर अनुभव को देखती रहती है।

यह पुस्तक भारतीय दर्शन, वेदांत, योग और ध्यान की शिक्षाओं को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है। लेखक ने आत्मा के विभिन्न आयामों को, उसकी शांति, स्थिरता, और प्रेम की प्रकृति को विस्तार से समझाया है। उन्होंने बताया है कि कैसे सांस, योगासन, और ध्यान की साधनाओं से मन को शांत करके हम आत्मा के अनुभव तक पहुँच सकते हैं। सरल अभ्यास, जीवन के उदाहरण, और ध्यान के सूत्र पुस्तक को व्यावहारिक और उपयोगी बनाते हैं।

किताब में अध्याय दर अध्याय पढ़ने वाले को अपनी भीतरी दुनिया की यात्रा का अनुभव कराया गया है, जहाँ वे अहंकार, भ्रम, और बाहरी प्रभावों से परे जाकर अपनी आत्म-शक्ति को पहचान सकते हैं। विशेष रूप से आत्मा के अनुभव को जीवन के हर छोटे-छोटे क्षणों में ढूंढने, रिश्तों में प्रेम और सहानुभूति को बढ़ाने, और समस्याओं को शांति के साथ देखने के तरीके बताए गए हैं।

लेखक के अनुसार आध्यात्मिकता केवल धार्मिक या अनुष्ठानिक क्रिया तक सीमित नहीं है , बल्कि इसे एक सुगम, रोज़मर्रा की जीवनशैली के रूप में देखा जा सकता है और जिसे हर कोई अपना सकता है। इसमें प्रेम, सेवा, और प्रकृति से जुड़ाव को आत्मिक विकास के लिए आवश्यक माना गया है।

कुल मिलाकर, यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने अस्तित्व के रहस्यों को समझना चाहते हैं, मानसिक शांति चाहते हैं, और जीवन में वास्तविक आनंद की खोज में हैं। इसे पढ़कर पाठक आंतरिक शांति, संतुलन, और प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं और अपने जीवन को एक नया अर्थ दे सकते हैं।

इसका भाषा सरल, सहज और प्रेरणादायक है, जो जटिल दार्शनिक विचारों को भी आम जन के लिए सुलभ बनाती है। इसलिए यह पुस्तक आत्म-ज्ञान की यात्रा पर निकलने वाले हर व्यक्ति के लिए एक मूल्यवान साथी साबित होगी।

लेखक परिचय :

डॉ. उत्कर्ष सिन्हा एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, कॉलम लेखक, और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता हैं जो लखनऊ, उत्तर प्रदेश में रहते हैं और बलिया जिले के मूल निवासी हैं। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था और उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री ली है। डॉ. सिन्हा ने चार हिंदी समाचार पत्रों के संपादक पद पर कार्य किया है और टेलीविज़न पर भी एक पहचाना हुआ नाम हैं। उनके लेख अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं, जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित प्रकाशनों में 800 से अधिक लेख शामिल हैं।

मीडिया उद्योग में उनके 25 वर्षों से अधिक अनुभव के दौरान, उन्होंने प्रिंट पत्रकारिता, टेलीविज़न, रेडियो, और डिजिटल मीडिया जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर काम किया है। वे आमिर खान प्रोडक्शंस की सीरीज “सत्यमेव जयते” के शोध में भी योगदान दे चुके हैं। अभी वे लखनऊ में रहते हैं और यात्रा करने के शौकीन हैं। अपने स्वभाव के अनुसार एक यात्रिक के रूप में, उन्होंने 21 देशों की यात्रा की है और यात्रा के दौरान स्थानीय समाजों और पर्यावरण को समझने में गहरी रुचि दिखाई है।

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