सुल्तानपुर में राज्यसभा सांसद संजय सिंह की पदयात्रा को मिला जबरदस्त जनसमर्थन, रास्तों पर उमड़ा जन सैलाब

उत्तर प्रदेश में बेरोज़गारी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ आम आदमी पार्टी की “रोज़गार दो- सामाजिक न्याय दो” पदयात्रा अपने पाँचवें दिन सुल्तानपुर में पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ी। कटका स्थित भारद्वाज वाटिका से शुरू होकर यह पदयात्रा टाइनी टोट्स स्कूल, तिकोनिया पार्क और फिर बहादुरपुर स्थित कौमी निस्वान कॉलेज पहुंची।
पदयात्रा पर उमड़ा जन सैलाब
पूरे रास्ते लोग घरों से दुकानों से और गलियों से निकलकर पदयात्रा में शामिल हुए। सड़कों पर उमड़ती भीड़ ने साफ कर दिया कि जनता अब अपनी आवाज़ खुद बुलंद करना चाहती है और इस लड़ाई में आम आदमी पार्टी को अपना साथी मान चुकी है। इस दौरान अंगनाकोल में बबलू सिंह प्रधान, टीपू सुल्तान टेढ़ऊ वासिद में सुरेश गौतम, वंशराज ने पदयात्रा का स्वागत किया। इसी तरह KNI पर शशि सिंह, इमरान भाई ने, पांचों पिरान पर बड़कऊ प्रधान और इमरान जी ने स्वागत किया। इसके अलावा ज्ञान प्रकाश यादव, सूफियान आदर्श, सैफ, वारिस, शराफत खान, जिशान खान और सर्वर प्रधान ने सुल्तानपुर में अलग अलग स्थानों पर पदयात्रा का जोरदार स्वागत किया।

संजय सिंह का मोदी सरकार पर आरोप
तिकोनिया पार्क पर जनसभा को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार में बेरोज़गारी चरम पर है और परीक्षाओं में लगातार पेपर लीक से नौजवान त्रस्त हैं। सिपाही, लेखपाल, एसएससी, दरोगा, पीसीएस, यहां तक कि हाईस्कूल, इंटर और पाँचवीं तक की परीक्षाओं के पेपर लीक होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा- रोजगार के नाम पर नौजवानों को लाठियां मिल रही हैं।
संजय सिंह ने मोदी–योगी सरकार के वादों को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि न काला धन आया, न 15 लाख आए, न किसानों को फसल का दोगुना दाम मिला, न हर साल उत्तर प्रदेश के नौजवानों को नौकरियां, कहीं कुछ पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह यात्रा बेरोजगार नौजवानों, मजदूरों, शिक्षामित्रों, आशा–आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, बुनकरों और रेडी–पटरी, शोषित वंचितों के हक़ की लड़ाई लड़ी है जिन पर आज सरकार का बुलडोज़र चल रहा है।

भाजपा सरकार में न नौकरी-न भर्ती-न न्याय
सुल्तानपुर में संजय सिंह की पदयात्रा पर उमड़ा जनसैलाब
सामाजिक न्याय पर बोलते हुए संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश और देश में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, कहीं दलित को घोड़ी पर चढ़ने से रोका जाता है, कहीं बुजुर्ग के साथ अमानवीय बर्ताव होता है। उन्होंने कहा कि देश नफरत नहीं, मोहब्बत की बुनियाद पर आगे बढ़ेगा, और भारत बाबा साहब के संविधान से चलेगा, किसी ‘फरमान’ से नहीं।
बिहार चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने 80 लाख वोटों की ‘चोरी’ और बड़े पैमाने पर वोट काटने का आरोप लगाया तथा चेतावनी दी कि अगर बिहार में ऐसा हुआ, तो यूपी में 2 करोड़ वोट काटे जाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा भारत माता की जय बोलकर देश की संपत्तियां बेच रही है, जबकि हम भारत माता की जय भी लगाएंगे और देश की संपत्ति भी बचाएंगे। उन्होंने कहा—“ना मेरा है ना तेरा है, यह हिंदुस्तान सबका है,” और यही संदेश लेकर यह पदयात्रा आगे बढ़ रही है।

योगी सरकार ने रोजगार का मज़ाक बनाया
सुल्तानपुर में जिस गर्मजोशी से लोगों ने संजय सिंह का स्वागत किया, वह यह बताने के लिए काफी है कि यह पदयात्रा सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों और दर्द का बड़ा जनआंदोलन बन चुकी है। युवाओं ने खुलकर कहा कि पिछले 8 सालों में योगी सरकार ने रोजगार को मज़ाक बना दिया है। न नई भर्तियाँ निकलीं, न पुरानी पूरी हुईं। जो परीक्षाएँ हुईं, उनमें पेपर लीक ने युवाओं का भविष्य अंधकारमय कर दिया। हर तरफ़ निराशा है और सरकार सिर्फ बयान देने में व्यस्त है। इसी कारण हजारों युवा इस पदयात्रा से सीधे जुड़ रहे हैं और अपनी आवाज़ सड़क पर लाकर बुलंद कर रहे हैं।
पदयात्रा में दलित और पिछड़े समाज के लोग भी भारी संख्या में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार की तानाशाही और नीतियों ने उन्हें पीछे धकेल दिया है। आरक्षण हो या भर्ती- हर स्तर पर भेदभाव और उपेक्षा बढ़ी है। संजय सिंह ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि दलित- पिछड़ों का हक़ छीने जाने की हर कोशिश जनता अब चुपचाप नहीं देखेगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय इस पदयात्रा की नींव है और लोगों का यह संघर्ष ही आने वाले बदलाव की ताकत बनेगा।
सुल्तानपुर में संजय सिंह की पदयात्रा पर उमड़ा जनसैलाब
संजय सिंह ने सुनी की ग्रामीणों की समस्याएं
पदयात्रा के दौरान ग्रामीणों और युवाओं ने संजय सिंह से मुलाकात कर अपनी समस्याएं रखी। बताया कि एमएसपी की गारंटी आज भी अधूरी है, किसानों को लागत से कम दाम मिल रहे हैं, सिंचाई–बिजली की समस्या बढ़ रही है और कर्ज़ राहत के नाम पर सिर्फ घोषणाएँ हो रही हैं। ग्रामीण युवाओं ने कहा कि गांवों में काम मिलना तो दूर, मनरेगा का पैसा भी समय पर नहीं मिलता। सरकार सिर्फ कागज़ी नीतियों से काम चला रही है, जबकि जनता वास्तविक समाधान चाहती है।



